राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ब्रह्मानंद की वजह से भाजपा बैकफुट पर
22-Nov-2022 4:10 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ब्रह्मानंद की वजह से भाजपा बैकफुट पर

ब्रह्मानंद की वजह से भाजपा बैकफुट पर

भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम पर रेप केस के चलते पार्टी फंस गई है। इस केस से निपटने पार्टी के रणनीतिकार विधिक सलाह ले रहे हैं। इन सबके बीच पार्टी के अंदरखाने में प्रत्याशी चयन के तौर तरीकों पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि नेताम पर गंभीर केस होने के बावजूद प्रत्याशी क्यों बनाया गया?

अंदर की खबर है कि नेताम के खिलाफ केस होने की जानकारी कुछ स्थानीय नेताओं को ही थी। ये नेता ब्रम्हानंद नेताम के बजाए गौतम उइके को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में थे। गौतम उइके के लिए पार्टी के दो बड़े नेता रामविचार नेताम, और केदार कश्यप ने भी लॉबिंग की थी। चर्चा है कि स्थानीय नेताओं ने प्रदेश के बड़े नेताओं को आगाह भी किया था कि ब्रह्मानंद नेताम को प्रत्याशी बनाने से मुश्किलें पैदा हो सकती है। मगर ब्रह्मानंद की छवि सीधे-सरल नेता की है इसलिए किसी ने स्थानीय नेताओं की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।

हल्ला तो यह भी है कि जिन स्थानीय बड़े नेताओं की सिफारिश पर  ब्रम्हानंद नेताम को प्रत्याशी बनाया गया, उन्हीं में से कुछ ने नेताम के खिलाफ एफआईआर के कागज कांग्रेस तक भिजवाए, और फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मीडिया के जरिए धमाका कर दिया। ब्रम्हानंद केस की वजह से कोर ग्रुप और चुनाव समिति भी घेरे में आ गई है। पार्टी हाईकमान इसको लेकर काफी सख्त है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि चुनाव निपटने के बाद प्रत्याशी चयन को लेकर जिम्मेदारी भी तय की जाएगी, और ऐसे नेताओं को किनारे लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर ब्रह्मानंद केस की वजह से पूरी भाजपा बैकफुट पर आ गई है।

बैचमेट में गर्ग किस्मत के धनी

सूबे में आईजी स्तर के अफसरों के तबादले में 2007 बैच के आईपीएस रामगोपाल गर्ग पोस्टिंग के मामलेे में किस्मत के धनी रहे। सीबीआई से करीब 7 साल बाद प्रतिनियुक्ति से लौटे गर्ग को तकरीबन चार माह पूर्व राजनांदगांव रेंज में बतौर डीआईजी भेजा गया था। सरकार ने उनकी तकनीकी कार्यशैली और अच्छी साख के चलते उन्हें सीधे राजनीतिक उथल-पुथल वाले सरगुजा रेंज में आईजी का प्रभार सौंप दिया। गर्ग की तैनाती को लेकर खासियत यह है कि उनके बैच के दो अफसर दीपक झा और जितेन्द्र मीणा क्रमश: बलौदाबाजार व बस्तर में एसपी बने हुए हैं। जबकि गर्ग प्रभारी आईजी की हैसियत से रेंज के छह जिलों की जिम्मेदारी सम्हालेंगे।

गर्ग के बैचमेट में छत्तीसगढ़ कैडर में कुल चार अफसर हैं। जिसमें एक अफसर अभिषेक शांडिल्य अपने गृह राज्य बिहार में सीबीआई के हेड हैं। गर्ग एक सुलझे हुए अफसर हैं। राजनांदगांव रेंज में उन्होंने सभी चार जिलों में पुलिसिंग को लेकर कड़े कदम उठाए थे। सुनते हैं कि सरगुजा रेंज के कोरिया जिले में उनके काम करने के पुराने अनुभव को केंद्रित कर सरकार ने पदस्थ किया है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कोरिया एसपी रहते गर्ग ने विधायक रहे भैयालाल रजवाड़े के जुआरियों को ढ़ील देने की पेशकश को सिरे से नकार दिया था। उससे नाराज रजवाड़े ने रमन सिंह से शिकायत कर हटाने के लिए ताकत झोंक दी। गर्ग ने जुआरियों और अवैध कारोबार को छूट देने सरकार के दबाव में आने से बेहतर एसपी बने रहने से इंकार कर दिया।

चर्चा हैै कि सरगुजा रेंज के राजनीतिक-सामाजिक माहौल से गर्ग अच्छी तरह वाकिफ हैं। सरकार ने उनकी यही समझ के चलते सरगुजा की जिम्मेदारी दी है। वैसे गर्ग के साथ एक अच्छा संयोग यह भी रहा है कि राजनांदगांव रेंज डीआईजी रहते ही आरएल डांगी को सरगुजा में प्रभारी आईजी बनाया गया था। यानी गर्ग को साथ भी यह संयोग भी बना रहा।

इस बार अधिक सीधा संघर्ष..

छत्तीसगढ़ के भाजपा प्रभारी ओम माथुर का राज्य का यह पहला दौरा है। उन्हें लगता है कि यहां कांग्रेस कोई चुनौती नहीं है। कहा कि गुजरात और यूपी को लेकर भी ऐसा ही कहा जाता था। अब, जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है सन् 2018 में भाजपा की बड़ी हार हुई। पर, ऐसी बात नहीं है कि उसके समर्थक और कैडर के लोग स्थायी रूप से कांग्रेस या दूसरे दलों की ओर शिफ्ट हो गए हों। हाल ही में रायपुर में आंदोलन हुआ और बिलासपुर में हुंकार रैली थी। दोनों को विफल कहा नहीं जा सकता। मगर, दूसरी तरफ भाजपा संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल विपक्ष के रूप में अब तक की पार्टी की भूमिका का संतोषजनक नहीं होना पाया जाना ही था। सन् 2018 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का चुनाव अभियान के दौरान जो माहौल दिखाई दे रहा था, उसने तो त्रिशंकु सरकार की अटकलों को जन्म दे दिया था। भाजपा नेता बार-बार यह दावा कर रहे थे कि कई सीटों पर छजकां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बना रही है। इसका मकसद यही था कि प्रतिद्वंद्वी वोटों का विभाजन हो और भाजपा को चौथी बार बहुमत मिल जाए। छजकां की ताकत 2018 के चुनाव के डेढ़-दो साल पहले से महसूस की जा रही थी। पर उसके बाद के उप-चुनावों में न केवल विफलता हाथ आई है बल्कि विधायक भी टूटे। संगठन के अनेक संस्थापक कांग्रेस में जा चुके या पार्टी छोड़ चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने हाल के दो उप-चुनावों में प्रत्याशी नहीं उतारे। वे अभी भी संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने की बात कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सन् 2023 में कांग्रेस भाजपा के बीच 2018 के मुकाबले कहीं ज्यादा सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। इसके बावजूद यदि दोनों में से कोई भी दल एक दूसरे को चुनौती मानने से मना करें, तो यह सिर्फ रणनीति है, जमीनी हकीकत नहीं।

और ये प्रधान पाठक ही शराबी

स्कूलों में शराब पीकर पहुंचने वाले शिक्षकों का क्या बिगड़ता है? कुछ दिन के लिए सस्पेंड, जांच- फिर बहाली, ज्यादा हुआ तो तबादला। किसी दूसरे स्कूल के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने भेज दिया जाता है। हालांकि अब शिक्षकों से फॉर्म भी भरवाया जा रहा है कि वे दफ्तर या स्कूल शराब पीकर नहीं आएंगे। पर इसका असर कितना होगा? एक खबर गंडई-पंडरिया के दुल्लापुर शासकीय स्कूल से है। यहां के तो प्रधान पाठक लक्ष्मीनारायण साहू एक तो स्कूल आते नहीं, आठ दस दिन में जब आते हैं शराब पीकर। घूमते-टहलते हैं  निकल जाते हैं। अधीनस्थ शिक्षक मना करते हैं, नहीं मानते। बेशर्मी की हद यह है कि पंचायत ने बैठक बुलाई। उन्हें शराब पीकर स्कूल नहीं की हिदायत दी लेकिन फर्क नहीं पड़ा। सरपंच इसकी शिकायत शिक्षा अधिकारियों से कर चुके हैं, पर कार्रवाई नहीं हुई। बिलासपुर जिले के मस्तूरी में स्कूल के बाहर शराब पीकर लुढक़े शिक्षक को लेकर कई शिकायत सरपंच और छात्र-छात्रा कर चुके थे, पर उन्हें ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बचा रहे थे। कार्रवाई तब हुई जब वीडियो वायरल हुआ और मीडिया ने दबाव बनाया। दुल्लापुर के इस प्रधान-पाठक पर भी अधिकारी कार्रवाई करने बच रहे हैं। इनका काम स्कूलों का नियमित निरीक्षण करना भी है। पर शिकायत छात्रों और पंच-सरपंचों की शिकायत भी काम नहीं आ रही है। पूरे प्रदेश में जिस तरह शिक्षकों में शराबखोरी कर स्कूल आने की शिकायतें बढ़ रही है, उसके लिए इन अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराने की चेतावनी जारी क्यों नहीं की जानी चाहिए?

सांप का खेल नहीं शिकार...

कोरबा जिले के करतला ब्लॉक का वीडियो कल से खूब वायरल हो रहा है। एक खेत के पानी में अहिराज सांप छोटे आकार के दूसरे सांप को खाते हुए दिख रहा है। छोटा सांप खुद को छुड़ाने की कोशिश में है, जबकि बड़ा सांप उसे निगलने की। इस प्रयास में एक दूसरे से लिपटे दोनों सांप चकरी की तरह काफी देर तक घूमते रहे। दृश्य किसी खेल का लगा पर, छोटे सांप को अपनी जान गंवानी पड़ी और अहिराज को आहार मिल गया।

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