राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बिगड़ैल बनाई जाती जनता
16-Dec-2022 3:53 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बिगड़ैल बनाई जाती जनता

बिगड़ैल बनाई जाती जनता

किसी शहर का साफ-सुथरा रहना अगर सिर्फ खर्च करके किया जा रहा है, तो वह बहुत महंगा सौदा है, और यह अपने लोगों को हमेशा के लिए बिगाड़ देने का काम भी है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ठीक यही हो रहा है। लोगों के घरों से कचरा लेने के लिए गाडिय़ां दिन में कई बार उनके दरवाजे पहुंचती हैं, लेकिन इस कचरे को अलग-अलग छांटकर रखना लोगों को नहीं सिखाया जाता। दुनिया के सभ्य और विकसित देशों में कचरे को तीन-चार अलग-अलग किस्म से छांटकर ही देना होता है, वरना घरवालों पर खासा जुर्माना लग जाता है। एक बार हर किस्म का कचरा अगर मिल गया, तो उसे अलग-अलग करने की संभावना बड़ी थोड़ी सी रह जाती है। आज लोगों से जरा भी मेहनत करवाए बिना उनके मिलाकर दिए हुए कचरे को म्युनिसिपल उठा रही है, सडक़ों को साफ करवा रही है, नालियों में फेंके गए कचरों पर कोई जुर्माना नहीं लगता है, और वोटरों को खुश रखने के लिए म्युनिसिपल उनकी बिगड़ैल आदतों को वैसे ही बढ़ावा दे रही है, जिस तरह किसी जनवासे में मेहमान बारातियों की मनमानी को बढ़ावा दिया जाता है। सफाई कर्मचारी पूरे वक्त लापरवाह जनता के मिलाए हुए, नालियों में डाले हुए, सडक़ों पर फेंके हुए कचरे को साफ करने में लगी रहती है, और बड़ी लागत से यह सफाई करवाने को म्युनिसिपल अपनी कामयाबी मानती है। एक के बाद दूसरी पीढ़ी लापरवाह बनाई जा रही है, और जनता का पैसा गैरजिम्मेदार लोगों के फैलाए कचरे पर बर्बाद किया जा रहा है।

नाबालिगों में ‘मर्दानगी’ का संकट

15 दिन के अंतराल में बेमेतरा और रायपुर में हुई दो घटनाओं के बीच कोई अंतर नहीं है। बेमेतरा में 10 साल की बच्ची जब फांसी पर लटकी मिली तो पहले लोग आत्महत्या का मामला समझ रहे थे। जांच में पता चला कि पड़ोस का एक नाबालिग छत के रास्ते से उसके घर घुसा, जब वह अकेली थी तो रेप किया। विरोध करने पर उसने मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। किसी से वह कह न दे, इसलिये फांसी पर लटकाकर भाग गया। रायपुर के सड्डू में 8 साल की बच्ची को नाबालिग झाडिय़ों पीछे ले गया। रेप के बाद उसने भी गला घोंट दिया। दोनों मामलों में आरोपी नाबालिग थे, बच्चियों के पास-पड़ोस में रहते थे। एक दूसरे को जानते थे, साथ खेलते भी थे। पर दोनों ही अपचारी बालक पोर्न फिल्म देखने के आदी थे। दोनों ने ही रेप का अपराध उजागर न हो इसलिये हत्या भी कर दी। रायपुर में जो आरोपी पकड़ा गया, उसके बारे में यह बात भी सामने आई है कि उसके पास खुद का मोबाइल फोन नहीं था, गंदी फिल्में देखने के लिए वह दूसरों से फोन मांगता था। दिल्ली की एक गैर सरकारी संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आज  व्यस्त अभिभावकों के पास यह जानने का समय नहीं कि बच्चे क्या कर रहे हैं। इंटरनेट में कामुकता तक पहुंच आसान है और यह मोबाइल पर आसानी से मिल जाता है। इसी के बदौलत बच्चे अपने शारीरिक बदलाव को जल्दी पहचान लेते हैं। फिर जो उसके पास है उसके साथ इसे व्यवहार में लाने के लिए प्रयत्न करते हैं। मीडिया यौन छवियों से भरा हुआ है और बच्चियों, महिलाओं के प्रति हमें अमानवीय बना रहा है। किशोर भी अब ‘मर्दानगी’ दिखाने के लिए उतावले होते जा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि किशोरों के यौन अपराधों से जुड़े विषयों पर समाज की चुप्पी हमें भयावह खाई की ओर धकेल रही है।

कुम्हड़े का तानपुरा

कद्दू प्रजाति के फलों को बस्तर में कुम्हड़ा कहते हैं। सामान्य कद्दू पीले रंग का होता है, मीठा भी। रखिया कुम्हड़ा सफेद होता है जो पेठा बनाने के काम में आता है। उड़द दाल के साथ पीसकर इसकी बडिय़ां भी बनाई जाती हैं। हरा कुम्हड़ा भी होता है जिसकी स्वादिष्ट सब्जियां बनती हैं। इनमें से पीले कुम्हड़े का छिलका कुछ मोटा होता है। कड़े छिलके को सावधानी से अलग कर बोतल, बर्तन आदि बनाए जाते हैं, जिसमें पानी स्टोर करके रखा जा सकता है। इसके अलावा तानपुरा जैसा वाद्ययंत्र भी बनता है, जिसकी बस्तर आने वाले पर्यटकों के बीच अच्छी बिक्री भी होती है। यह तस्वीर जगदलपुर में बिकने के लिए आए कुम्हड़े से बने तानपुरे की है। इस तरह के हस्तशिल्प को तुंबा आर्ट भी कहते हैं। 

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