राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : इंतजाम पर पानी फिरा
25-Apr-2023 3:35 PM
राजपथ-जनपथ :  इंतजाम पर पानी फिरा

इंतजाम पर पानी फिरा 
एक दौर था जब भाजपा में दिवंगत कुशाभाऊ ठाकरे, और गोविंद सारंग जैसे नेता तपती गर्मी में छोटे कार्यकर्ताओं के घर बैठक करने से  परहेज नहीं करते थे। मगर वो जमाना गुजर चुका है। अब तो पुराने नेता भी सर्वसुविधायुक्त जगहों पर बैठक करने की फरमाइश करने लगे हैं। 

सुनते हैं कि प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने तो यहां आने से पहले ही रायपुर संभाग के प्रभारी सौरभ सिंह को किसी ठंडी जगह में बैठक रखने की सलाह दे दी। चूंकि वो रायपुर जिले की पहली बार बैठक लेने वाले थे। लिहाजा, बैठक नवा रायपुर के फाइव स्टार होटल में रखने की योजना बनाई गई। मगर होटल ज्यादा महंगा पड़ रहा था। आखिरकार जोरा के पास एक रिसॉर्ट में बैठक करने का फैसला लिया गया।

माथुर को खुश करने के लिए पदाधिकारियों ने खाने-पीने का बेहतर इंतजाम भी किया। लेकिन बैठक शुरू होने से पहले माथुर का फोन आ गया कि उनकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए वो नहीं आ पाएंगे। यह भी कहा कि संगठन प्रभारी अजय जामवाल, और पवन साय ही बैठक लेंगे। माथुर के नहीं आने की सूचना मिलने से पदाधिकारी परेशान हो गए। क्योंकि जिन्हें बैठक लेने की जिम्मेदारी दी गई, वो तो दो दिन पहले ही बैठक ले चुके थे। स्वाभाविक है कि बैठक में कोई नई बात नहीं आनी थी। फिर भी पदाधिकारी मन मसोस कर जामवाल और पवन साय को सुनते रहे। जिले के पदाधिकारियों के लिए यह बैठक काफी महंगा पड़ गया। 

पहले अंडा या मुर्गी? 
धरती पर पहले अंडा आया या फिर मुर्गी, इस पर बहस होती रहती है। कुछ इसी अंदाज में मंत्रालय में प्रस्तावित फेरबदल पर चर्चा हो रही है। सीएम भूपेश बघेल कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस लेने वाले हैं। प्रशासनिक हल्कों में इस बात पर बहस हो रही है कि पहले कॉन्फ्रेंस होगा या फेरबदल। इस पर जानकारों की राय बंटी हुई है।

कुछ का मानना है कि कॉन्फ्रेंस के बाद ही फेरबदल होगा। मगर कई मानते हैं कि फेरबदल के बाद ही कॉन्फ्रेंस होगा। क्योंकि कॉन्फ्रेंस से पहले फेरबदल का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि जिन्हें बदलना है उन्हें नए निर्देश देने का कोई फायदा नहीं है। खैर, इस बार फेरबदल में एक दर्जन कलेक्टर इधर से उधर हो सकते हैं। कुछ जूनियर अफसरों को कलेक्टरी का मौका मिल सकता है। इसी तरह जिलों में एसपी के बदलाव भी बड़े पैमाने पर होंगे। कई अफसर छुट्टी में है बावजूद इसके सूची लंबी होने के संकेत हैं। देखना है आगे क्या होता है।

परेड निकालने का साइड इफेक्ट
शातिर बदमाशों को जब पुलिस गिरफ्तार करती है तो सीधे हवालात और कोर्ट नहीं ले जाती। वह उनकी अकड़ ढीली करने और लोगों मे दहशत कम करने का उपाय करती है। इसका सबसे चालू तरीका है हथकड़ी लगाकर मार्केट से जुलूस निकालना। कभी-कभी मुंडन भी कर दिया जाता है। पुलिस मानती है कि इससे जनता का लॉ एंड ऑर्डर के प्रति भरोसा बढ़ता है।

धमतरी में बीते शुक्रवार को एक ऑटो चालक की पांच लोगों ने दिनदहाड़े बीच चौराहे पर चाकू मारकर हत्या कर दी थी। सभी को सोमवार को पुलिस ने पकड़ लिया। इसके बाद इनका शहर में पैदल मार्च निकाला गया। इससे गिरफ्तारी की खबर शहर में सबको एक साथ मिल गई। मृतक के वार्ड वालों को भी और उसके दोस्तों, रिश्तेदारों को भी, जो बदले की आग में सुलस रहे थे। जुलूस के चलते इन लोगों को एक जगह जल्दी इकट्ठा होने में मदद मिली। वैसे भी लोग आजकल न्यूज चैनल और सोशल मीडिया देखकर भीड़ हत्या और ऑन द स्पॉट फैसला करने में आनंद लेने लगे हैं। इस मामले में भीड़ को कोतवाली थाने में इकट्ठा होने में देर नहीं लगी। वे आरोपियों को अपने हवाले करने की मांग करते हुए थाने के भीतर घुसने लगे। पुलिस ने समझाया कि कानून के अनुसार सब होगा, अदालत सजा देगी। मगर भीड़ पीछे हटने को राजी नहीं थी। आखिरकार पुलिस को लात-घूंसे चलाने पड़े और लाठियां भी भांजनी पड़ी। तब जाकर परिसर खाली हुआ। पुलिस को कहीं-कहीं यह भी देखना जरूरी है कि बदमाशों की परेड निकालने के बाद आम लोगों में अपराधी का खौफ खत्म हो वहां तक ठीक है, पुलिस और कानून का खौफ न रहे तो नई समस्या खड़ी हो सकती है।

राहुल के खिलाफ यूथ कांग्रेस के नारे
मरवाही विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत इस मायने में बड़ी थी क्योंकि यह स्व. अजीत जोगी का गढ़ था और भाजपा प्रत्याशी जनता कांग्रेस के समर्थन के बावजूद हार गए थे। अब पांच छह माह बाद फिर राज्य की बाकी सीटों की तरह यहां भी विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में यहां के संगठन में पदाधिकारियों के बीच जमकर गुटबाजी फैली है। लगता है कि राजधानी के नेता भी ऐसे ही चलने देना चाहते हैं। इसका एक उदाहरण तब मिला था जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में हुई संगठन की बैठक में सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी कि मेरी अनुशंसा के बावजूद जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज गुप्ता को पद से नहीं हटाया गया। यह करीब डेढ़ साल पुरानी बात है। गुप्ता अपने पद पर अब तक जमे हुए हैं। जनवरी माह में दो ब्लॉक अध्यक्षों ने इसी जिला अध्यक्ष के खिलाफ प्रदेश संगठन से शिकायत की थी। उनका आरोप था कि कांग्रेस भवन के लिए लाखों रुपये का चंदा लिया गया है, पर उसे कहां खर्च किया जा रहा है किसी को नहीं मालूम। भवन का काम तो 20 प्रतिशत भी नहीं हुआ है।

ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंके जाने के दौराना नारेबाजी का है। युवक कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी की सदस्यता छीने जाने के विरोध में कोटमी में प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया था। कोटमी में ही यहां के जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष रहते हैं, पर उनको इस कार्यक्रम को कोई खबर ही नहीं थी। प्रदेश इकाई से भी इस बारे में कोई निर्देश नहीं आया था। पुतला फूंक दिया। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी मुर्दाबाद के नारे भी लगा दिए। पता चला कि ये नारे जान-बूझकर लगाए गए ताकि रिपोर्ट ऊपर जाए और कुछ विरोधियों पर कार्रवाई हो। अब जब यह पता चल गया कि जिला महासचिव ने नारे लगवाए तो उनको निलंबित कर दिया गया। हालांकि नारे लगाने वाले कई लोग थे, पर बाकी को बचा लिया गया है। संगठन के जमीनी स्तर पर कांग्रेस की शायद यही नियति है जो सत्ता में रहने पर और उभर जाती है।

पृथ्वी को बचाने के लिए...
कुछ दिन पहले विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। पृथ्वी बचाने के लिए जरूरी है जंगलों का बचा होना। छत्तीसगढ़ राज्य की बड़ी आबादी जंगल पर ही आश्रित है। फरवरी माह से जून तक जंगलों में आग लगी रहती है। आग पर काबू पाना कठिन काम है। अब इस काम में महिलाएं भी प्रोफेशनल तरीके से आगे आ गई हैं। यह तस्वीर बिलासपुर जिले के बेलतरा फारेस्ट सर्किल की है, जहां जय शारदा महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं भारी फ्लायर ब्लोअर मशीनों को पीठ पर लादकर आग पर नियंत्रण के लिए निकली हुई हैं। अफसरों ने कहा कि इन महिलाओं ने खुद ही संपर्क कर आग बुझाने में मदद करने का प्रस्ताव दिया था। हमने उन्हें थोड़ा प्रशिक्षण दिया और वे अब बड़ी गंभीरता में अपने काम से जुट गई हैं।   
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