राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पीएचक्यू फेरबदल के इंतजार में...
18-Sep-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पीएचक्यू फेरबदल के इंतजार में...

पीएचक्यू फेरबदल के इंतजार में...

पीएचक्यू में जल्द ही एक बड़ा फेरबदल हो सकता है। अभी तक एएन उपाध्याय के रिटायर होने के बाद पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में नई पोस्टिंग नहीं हुई है। कुछ और जगहों पर फेरबदल की तैयारी है। मसलन, परिवहन में लेन-देन की शिकायतों से विभागीय मंत्री नाखुश बताए जाते हैं। इस विभाग में जिस तरह से कुछ लोगों के निलंबन खत्म हुए, उन्हें लेकर भी चल रही चर्चा से विभाग की ऊपर तक साख चौपट हो रही है, और वैसी नोटशीटें बाजार में तैर भी रही हैं। ऐसे में यहां भी उच्च स्तर पर बदलाव हो सकता है। सुनते हैं कि एडीजी स्तर के अफसर अशोक जुनेजा, पवन देव और हिमांशु गुप्ता को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा तो यह भी है कि सरकार के पास विकल्प सीमित है। ऐसे में उन अफसरों को भी महत्व मिल सकता है जो पिछली सरकार में पावरफुल रहे हैं। जिन जगहों पर फेरबदल की चर्चा है उनमें एसीबी-ईओडब्ल्यू, इंटेलीजेंस, दुर्ग आईजी रेंज जैसी कुछ कुर्सियां हैं, और इन्हें लेकर आधा दर्जन नाम चल रहे हैं। इस बीच लोग इस पर भी हैरान हैं कि दीपांशु काबरा को खाली बैठे नौ महीने हो रहे हैं, और सरकार के दिमाग में उन्हें लेकर क्या है?


अपने ही जाल में भाजपा..
नान घोटाले में भाजपा अपने ही जाल में फंसती दिख रही है। पार्टी आरोपी चिंतामणि चंद्राकर के बचाव में आ खड़ी हुई। श्रीचंद सुंदरानी सहित अन्य नेताओं ने प्रेस कॉफ्रेंस लेकर चंद्राकर पर दबाव डालकर बयान लेने का आरोप मढ़ दिया। इस प्रेस कॉफ्रेंस से पार्टी के ही कई नेता असहमत हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछली सरकार में नान घोटाला उजागर हुआ था और मैडम सीएम और सीएम सर के नाम से लेन-देन के दस्तावेज सार्वजनिक हुए थे तब एसीबी-ईओडब्ल्यू के उस समय के मुखिया मुकेश गुप्ता को सफाई देनी पड़ी कि मैडम सीएम का आशय चिंतामणि चंद्राकर मैडम है। मगर, न तो चिंतामणि और न ही उनकी पत्नी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। 
चिंतामणि चंद्राकर को मुकेश गुप्ता का करीबी माना जाता है। वह पहले भिलाई में, और फिर नान में एक छोटा सा अधिकारी था, लेकिन उसके बावजूद मुकेश गुप्ता के परिजनों द्वारा संचालित एमजीएम अस्पताल का ट्रस्टी भी है। इस ट्रस्ट में नामी गिरामी उद्योगपति-कारोबारी लोग हैं। इन सबके बीच में एक मामूली से एकाउंटेट चिंतामणि चंद्राकर को ट्रस्ट में जगह मिलना, उनके संबंधों को दिखाने के लिए पर्याप्त है। घोटाला जब सामने आया था, तो भाजपा के कई नेता उस समय यह कहते रहे कि चिंतामणि चंद्राकर, भूपेश बघेल के रिश्तेदार हैं। अब जब चिंतामणि के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, तो पार्टी के नेता बचाव में आ गए हैं। मगर, पार्टी का असंतुष्ट खेमा इस पर भी जुटा है कि आखिर सीएम मैडम-सर कौन हैं, यह सच सामने आना चाहिए। 

किरदार बदला, तो नजरिया भी?
लंबे समय तक विपक्ष में रही छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी ने पिछले पन्द्रह बरसों में भाजपा सरकार के खिलाफ जितने मुद्दे उठाए थे, उनमें से कई मुद्दे अब उसका मुंह चिढ़ाते हैं। जैसे बस्तर में पुलिस ज्यादती को लेकर कांग्रेस ने जितनी बातें कही थीं, आज पुलिस पर उसी किस्म की ज्यादती के आरोप लग रहे हैं। बस्तर में एक समय काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर नक्सलियों का हिमायती होने के आरोप लगते थे। उस समय की पुलिस ने वहां उनका जीना हराम कर दिया था, और उन्हें बस्तर से खदेडक़र ही दम लिया था। लेकिन अपने को गांधीवादी कहने वाले हिमांशु कुमार छत्तीसगढ़ के बाहर रहते हुए भी बस्तर के मुद्दों को उठाते हैं। उन्होंने अभी फेसबुक पर लिखा है- कल रात पोदिया और उसके साथी को पुलिस ने गोली से उड़ा दिया। यह दोनों आदिवासी युवा छत्तीसगढ़ के बैलाडीला में अडाणी का विरोध कर रहे थे। इससे पहले इनके साथी गुड्डी को भी पुलिस ने गोली से उड़ा दिया था। गुड्डी ने अडाणी के लोगों द्वारा पेड़ काटना बंद करवा दिया था। अडाणी ने बैलाडीला की नंदराज पहाड़ी पर दो हजार पेड़ काट डाले थे। गुड्डी ने पेड़ काटने वाले लोगों को वहां से भगा दिया था। इसके बाद पुलिस ने जाकर गुड्डी को गोली से उड़ा दिया। सोनी सोरी जब दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव से मिलने गईं तभी अभिषेक पल्लव ने कह दिया था कि मैं गुड्डी के साथी पोदिया को गोली से उड़ा दूंगा। 

‘सोनी सोरी ने फ्रंटलाइन की महिला पत्रकार को पहले ही बता दिया था कि एसपी अब पोदिया की हत्या करेगा और कल रात एसपी ने पोदिया को गोली से उड़वा दिया जो आदिवासी आपके बच्चों की सांसें बचाने के लिए इस देश के जंगलों को बचा रहे हैं। बड़े पूंजीपतियों से पैसा लेकर पुलिस अधिकारी उन आदिवासियों को गोली से उड़ा रही है। आपको बताया जा रहा है कि यही विकास है, लेकिन इसमें तो सिर्फ अडाणी का विकास होगा।’ 

‘बस्तर के आदिवासी मारे जाएंगे और आपके बच्चे बिना ऑक्सीजन के तापमान बढऩे से मारे जाएंगे लेकिन खेल देखिए आप आदिवासी के मरने पर आवाज नहीं उठाएंगे और आप अडाणी के पक्ष में बोलेंगे पुलिस की जय जयकार करेंगे। आप अपने बच्चे का गला खुद घोटेंगे और इसे विकास तथा राष्ट्रवाद से जोडक़र पुलिस और अडाणी की जय बोलते रहेंगे। आदिवासियों ने सोनी सोरी और बेला भाटिया को गांव बुलाया है। वे लोग पोदिया और उसके साथी की मौत की हत्या की एफआईआर कराने की कोशिश करेंगे।’

‘हम जानते हैं पुलिस एफआईआर. नहीं करेगी इस मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा लेकिन बहुत सारे मामले पहले भी कोर्ट में ले जाए गए। न्याय तो वहां से भी नहीं मिला। इस समय आदिवासी ही खतरे में नहीं है। आप भी खतरे में है। आपका लोकतंत्र संविधान विकास सब खतरे में है लेकिन आप समझ नहीं रहे हैं।’

दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के खदान इलाकों के जंगलों को बचाने के लिए, वहां बसे लोगों के हक के लिए लडऩे वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने आज सुबह ही फेसबुक पर लिखा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों का काम करने वाले अडाणी के बारे में जानकारी मांगने पर यह सरकार भी सूचना आयोग के आदेश के बाद भी जानकारी नहीं दे रही है जबकि चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वे इसे औद्योगिकीकरण नहीं मानते बल्कि यह लूट है। राहुल गांधी के ऐसे बयान के बाद सरकार को आज जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, कार्रवाई करनी चाहिए। 

इस तरह की कई पोस्ट सोशल मीडिया पर वर्तमान सरकार के बारे में भी लिखी जा रही है, और सामाजिक आंदोलनकारी यह सोचकर हैरान हैं कि पन्द्रह बरस तक इनके साथ रहे कांग्रेस नेता भी अब सरकार की तरह बर्ताव कर रहे हैं। 

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