राजपथ - जनपथ
राज पर्दाफाश
कोरोना प्रकोप रोकने के लिए लॉक डाउन का सख्ती से पालन हो रहा है। लोग भरपूर सहयोग भी कर रहे हैं। मगर एक-दो कॉलोनियों में शराब-शबाब के शौकीन लोग मौका पाकर बाहर चले जा रहे हैं, जिससे यहां के पदाधिकारी काफी परेशान हैं। उन्हें नियंत्रित करने में काफी दिक्कत हो रही है। ऐसी ही एक बड़ी कॉलोनी में एक कारोबारी की हरकत से नाराज लोगों को पुलिस की मदद भी मांगनी पड़ी। हुआ यूं कि कारोबारी सुरक्षा गार्ड को धमकाकर कार लेकर अक्सर बाहर निकल जाता था। कारोबारी के चाल चलन पर पहले से ही कॉलोनी के पदाधिकारियों को शक था।
दो-तीन दिन पहले जब वापस लौटा, तो पदाधिकारियों ने कारोबारी की कार रूकवाई और तलाशी ली। उन्होंने जैसे ही डिक्की खुलवाया, तो वे हक्का-बक्का रह गए। डिक्की में एक महिला थी। इसके बाद कारोबारी और पदाधिकारियों के बीच वाद विवाद बढ़ गया। कारोबारी का तर्क था कि बाहर से किसी के आने पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में अपने घरेलू काम के लिए महिला को छिपाकर लाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। बात बढ़कर पुलिस तक पहुंच गई। पुलिस कॉलोनी में पहुंची और फिर कारोबारी को चेताया। भविष्य में गलती दोबारा न करने की चेतावनी देकर पुलिस ने बिना किसी कार्रवाई के छोड़ भी दिया।
संत स्वभाव का राज...
वैसे तो लॉक डाउन के चलते शराब दूकानें बंद है। इससे शौकीन परेशान भी हैं। वजह यह है कि उन्हें अपना शौक पूरा करने के लिए तीन-चार गुना अधिक खर्च करना पड़ रहा है। शराब दूकानें बंद होने से भांग की खपत बड़े पैमाने पर हो रही है। शराब की तुलना में भांग थोड़ा आसानी से उपलब्ध हो जाता है और सस्ता भी है। लेकिन शराब के असर से भांग का असर एकदम अलग होता है. बात-बात पर बौखलाने वाले लोग अब अगर एकदम संत स्वभाव के दिखने लगें तो यह भांग का असर भी हो सकता है।
सुनते हैं कि कुछ दिन पहले तक एक प्रभावशाली नेता तो खुद अपने करीबियों को मुफ्त में शराब दे रहे थे। मगर लॉक डाउन के बीच नेताजी के बंगले में धीरे-धीरे भीड़ बढऩे लगी, तो उन्होंने इसे बंद कर दिया। दूकानें बंद होने से पान मसाले और बीड़ी सिगरेट के शौकीन भी काफी परेशान हैं। कई लोग जिनके पुलिस कर्मी मित्र हैं, उनकी मदद से जरूरत पूरी हो जा रही है।
अधिक सहूलियत दिक्कत का सामान
केन्द्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर सेंट्रल एसी-कूलिंग सिस्टम का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है, क्योंकि इससे कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसको लेकर दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। इससे मंत्रालय में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तेज गर्मी में भी वे एसी का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और पसीने से तरबतर हो रहे हैं। कुछ लोग इसके लिए पिछली सरकार को कोस रहे हैं।
ऐसे ही एक जानकार ने खुलासा किया कि जब मंत्रालय बिल्डिंग का निर्माण हो रहा था तब सेंट्रल एसी लगाने की कोई योजना नहीं थी। उस समय गणेश राम भगत मंत्री थे। बिल्डिंग के निर्माण का काम काफी आगे बढ़ गया और रमन सरकार के दूसरे कार्यकाल में आवास पर्यावरण विभाग का जिम्मा राजेश मूणत को सौंपा गया। उन्होंने अफसरों और हॉल में एसी लगाने के बजाए पूरी बिल्डिंग को ही एसी (वातानुकूलित) करने के लिए निर्देश दे दिए। इससे बिल्डिंग की लागत तो बढ़ गई अब जब कोरोना संकट पैदा हो गया है, तो यह दिक्कत का सामान भी बन गया है। ([email protected])