राजपथ - जनपथ
मगर सच क्या है यह तो मरकाम....
प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पीएल पुनिया की मौजूदगी में दाऊजी को यह शिकायत करनी पड़ी कि उन्हें बैठक में बुलाया नहीं जाता है। उन्होंने भरी बैठक में मोहन मरकाम, और चंद्रशेखर शुक्ला को खरी खोटी सुना दी।
सीएम की नाराजगी स्वाभाविक थी। बैठक की तिथि सीएम से पूछकर तय होती रही है। ताकि प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर पार्टी मीटिंग में शामिल हो सके। अजीत जोगी सीएम थे तब तक तो यही होता था। इसके बाद 15 साल सत्ता से बाहर रहे, तब व्यस्तता जैसी कोई बात नहीं रह गई थी। अब जब दाऊजी ने मीटिंग की सूचना नहीं देेने पर नाराजगी दिखाई है, तो भी पार्टी संगठन अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं है।
सुनते हैं कि मरकाम ने पुनिया को अब तक की सारी मीटिंग का ब्योरा दे दिया। यह बताया गया कि मरकाम के अध्यक्ष बनने के बाद से 13 मीटिंग हुई है। इसमें से 10 में दाऊजी शामिल हुए थे। दो मीटिंग में सीएम असम, और दिल्ली में रहने की वजह से शामिल नहीं हो पाए। ऐसे में मीटिंग की सूचना नहीं देने की बात कहना गलत है।
सवाल उठ रहा है कि दाऊजी संगठन से खफा क्यों हैं? कुछ लोगों का अंदाजा है कि मरकाम की कुछ महीना पहले राहुल गांधी से अकेले में मुलाकात हुई थी। तब मरकाम ने राहुल से काफी कुछ कहा था। कुछ बातें छनकर बाहर निकली है, जो कि दाऊजी को नाराज करने के लिए काफी है। मगर सच क्या है यह तो मरकाम, और दाऊजी ही बता सकते हैं।
उन्हें जिलों की कमान...
कलेक्टर, और एसपी कॉन्फ्रेंस के बाद फेरबदल की छोटी सी सूची निकल सकती है। चर्चा है कि कम से कम तीन जिलों के एसपी बदले जा सकते हैं। इसी तरह एक-दो कलेक्टरों को भी हटाया जा सकता है। नए चार जिलों में ओएसडी की पोस्टिंग होनी है। इन चार जिलों के कार्यालय एक जनवरी से अस्तित्व में आ जाएंगे। कुछ राज्य पुलिस सेवा के अफसर, जो कि आईपीएस अवॉर्ड के लिए प्रतीक्षारत हैं, उन्हें जिलों की कमान सौंपी जा सकती है।
ये नवरात्रि झांकी नहीं
महासमुंद जिले के सिरपुर की अनोखी बात यह है कि यहां जैन धर्म, बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के प्राचीन अवशेष मिलते हैं, जो पांचवी शताब्दी के और उसके बाद के हैं। कोविड-19 की वजह से विदेशी पर्यटक अब यहां बहुत कम आ रहे हैं, मगर छत्तीसगढ़ के, और देश के लोगों को भी कम पता है व्हेन सॉन्ग यहां आकर रुके थे।
जो तस्वीर आपके सामने दिखाई जा रही है वह किसी दुर्गोत्सव की झांकी नहीं है। इसे सुरंग किला के नाम से जाना जाता है। यह सिरपुर ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मंदिर परिसर है। शिलालेख कि मुताबिक यह मंदिर शिव गुप्त के समय बना आठवीं शताब्दी का मंदिर है।
आजादी के अमृत महोत्सव पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास भी बजट आया है। इन लोगों ने लाइट और साउंड शो की घोषणा की है। पीआईबी से छोटी प्रेस रिलीज जारी हुई थी। साउंड शो के नाम पर सिरपुर का इतिहास नहीं था। यहां पर अंग्रेजी, शेरशाह और छत्तीसगढ़ी गाने बसते हुए मिले। यदि आप दुर्गोत्सव के किसी अच्छी झांकी को नहीं देख पाए हैं तो यहां पर आ जाएं। पर सिरपुर के इतिहास को जानना चाहें तो इस विभाग की गतिविधि पर भरोसा मत करें।
लखीमपुर वर्सेस जशपुर
जसपुर में गांजा तस्करों ने अपनी एस यू वी से दुर्गा विसर्जन करने वाले लोगों को रौंदकर बता दिया कि उन्हें सीएम की बैठक में पुलिस को दिए गए निर्देश से कोई फर्क नहीं पड़ता। हाल ही में मुख्यमंत्री में एक बैठक लेकर डीजीपी और गृह सचिव को निर्देश दिया था कि गांजा और शराब जैसी नशे की तस्करी, जो दूसरे राज्यों से हो रही है उस पर लगाम लगाम लगाएं। अब थानेदार की कमाई का यही तो एक जरिया है। लगाम कैसे लगती। थाना प्रभारी समेत तीन लोग सस्पेंड हो गए हैं। अफसरों की हमदर्दी उनके साथ होगी, क्योंकि बगैर उनकी जानकारी के यह गोरख धंधा तो चल नहीं रहा होगा। कुछ दिन बाद यह सारे सस्पेंड बहाल हो जाएंगे। मुख्यमंत्री और डीजीपी के आदेश धरे रह जाएंगे हो सकता है कि इसके बाद फिर से कोई नया आदेश हमको आपको धोखे में रखने के लिए जारी किया जाए।