राजपथ - जनपथ
पंचायतों, निकायों में कांग्रेस का संकट
भाटापारा जनपद पंचायत के 25 सदस्यों में भाजपा के सिर्फ 6 हैं और शेष कांग्रेस से। इसके बावजूद कांग्रेस की जनपद अध्यक्ष संगीता साहू के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पार्टी में हडक़ंप मचा है। अविश्वास प्रस्ताव की मांग तो भाजपा के तीन सदस्यों की है, पर जैसे ही कलेक्टर ने इसके लिये सभा की तारीख तय की, कांग्रेस के 19 में से 16 सदस्य भूमिगत हो गए। जाहिर है भाजपा अपने 6 सदस्यों के भरोसे तो अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती थी। 16 पार्षदों का एक साथ गायब हो जाना बताता है कि वे बगावत करने जा रहे हैं। अब संगठन के स्थानीय पदाधिकारी उन कांग्रेस सदस्यों से अपील कर रहे हैं कि भाजपा के साथ न जायें। शिकायतों को मिल-बैठकर दूर कर लिया जायेगा।
हाल ही में खरौद नगर पंचायत में अध्यक्ष किसी तरह अपनी कुर्सी बचा ले गये। वहां भी कई कांग्रेस पार्षदों का अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन था, पर यह हटाने के लिये जरूरी दो तिहाई समर्थन न मिल पाये, इस पर जोर लगा लिया गया। कुछ पार्षद वापस लौट गये। पर 9 में से 6 विरोध में थे। यानि बहुमत तो नहीं रहा। इधर रायगढ़ में कांग्रेस के 27 पार्षदों में से 16 ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था। घोषणा होते ही भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में लग गई। वह तो बात बन गई कि ऐन मौके पर महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे पर 16 पार्षद इसीलिये अड़े थे क्योंकि उनकी शिकायत 40-50 दिन से पड़ी हुई थी। अध्यक्ष पर पार्टी की ही एक महिला पार्षद से गाली-गलौच और मारपीट का आरोप था, पर प्रदेश के नेता कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे।
भाटापारा, खरौद व रायगढ़ के मामलों को देखकर लगता है कि कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों में सत्ता में भागीदारी के लिये बेचैनी बढ़ी हुई है। प्रदेश के बड़े नेता उनकी बात सुन नहीं रहे हैं। मामला जब ज्यादा तूल पकड़ता है तब डैमेज रोकने के लिये कदम उठाये जा रहे हैं।
नेतागिरी काम नहीं आई...
कौन किस मकसद से फोटो खिंचवा रहा है, किसकी क्या पृष्ठभूमि है अमूमन अधिकारी-नेता जानने की कोशिश नहीं करते। स्वागत के सिलसिले में पड़ताल करने का वक्त होता भी नहीं है। हाल में जब बिलासपुर में नई एसएसपी पारुल माथुर ने पद संभाला तो बहुत से लोगों ने उन्हें बुके भेंटकर बधाई दी और तस्वीरें भी खिंचा ली। इनमें एक नाम था मस्तूरी से कांग्रेस नेता अंकित साहू का। साहू ने तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल की और बताया कि जिले की कानून-व्यवस्था पर उसकी एसएसपी महोदया से चर्चा हुई। इसके अगले हफ्ते पुलिस ने अंकित साहू को धर दबोचा। दरअसल, वह पिस्टल और 6 जिंदा कारतूस के साथ घूमते हुए पकड़ा गया। उसने इन हथियारों की तस्वीर मोबाइल पर खींच रखी थी और उन्हें बेचने के लिये ग्राहक की तलाश कर रहा था। सिविल लाइन पुलिस को खबर मिली और उसे रायपुर रोड में पकड़ लिया गया। पुलिस ने तो एसएसपी के साथ फोटो दिखाने के बावजूद उस पर कोई नरमी नहीं बरती और आर्म्स एक्ट के तहत बुक कर दिया, पर कांग्रेस ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है कि वह कांग्रेस में किसी पद पर है या नहीं, यदि है तो हटाया गया या नहीं।
रेलवे कोच में दफ्तर
कोविड -19 की भयानक लहर आई तो रेलवे जोन के रायपुर और बिलासपुर स्टेशनों में 100 से ज्यादा कोच आइसोलेशन वार्ड में बदल दिये गये थे। देशभर के कई स्टेशनों में ऐसी व्यवस्था की गई। हाल ही में जबलपुर रेलवे स्टेशन की तस्वीर सामने आई थी, जहां कोच के भीतर एक आकर्षक रेस्टोरेंट बनाया गया है। अब एक तस्वीर बिलासपुर रेलवे स्टेशन की और आई है, जिसमें यहां के खाली कोच में रेलवे ने अपना एक ऑफिस खोल लिया है। किनारे के प्लेटफॉर्म पर खड़ी इस ट्रेन को देखने से बिल्कुल अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि भीतर कोई दफ्तर चल रहा है। हालांकि यह व्यवस्था अस्थायी बताई जा रही है, क्योंकि पुराने बिल्डिंग में सुधार के काम चल रहे हैं। पर यह एक नया प्रयोग तो है ही, जिसे आगे रुपये बचाने के लिये अमल में लाया जा सकता है।