संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कोरोना के नए ख़तरे के बीच स्कूल-कॉलेज की जि़ंदगी शुरू, भारी सावधानी की ज़रूरत
03-Dec-2021 5:50 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कोरोना के नए ख़तरे के बीच स्कूल-कॉलेज की जि़ंदगी शुरू, भारी सावधानी की ज़रूरत

कोरोना के एक नए खतरे के बीच हिंदुस्तान के अलग-अलग प्रदेशों में स्कूलें खुलती जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में भी 1 दिसंबर से तमाम स्कूल-कॉलेज खोल दिए गए हैं और सडक़ों पर आते-जाते बच्चे खेलते हुए दौड़-भाग करते हुए दिखने लगे हैं। लेकिन इसके साथ साथ यह खबर भी आते जा रही है कि इस राज्य के कई जिलों में स्कूली बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। देश के कुछ प्रदेशों में जहां अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का आना-जाना होता है, वहां पर कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मरीज भी मिल रहे हैं। अभी वायरस के इस नए वेरिएंट को लेकर दुनिया के वैज्ञानिकों के पास भी जानकारी कम है कि यह कितना खतरनाक है और यह कितनी तेजी से फैलेगा। अलग-अलग जानकार लोग अलग-अलग बातें कर रहे हैं और यह एक नया खतरा सामने है। आज ही सुबह बीबीसी पर दक्षिण अफ्रीका की एक मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर बता रही थी कि कोरोना शुरू होने के बाद से यह पहला मौका है जब घुटनों पर चलने वाले बच्चों से लेकर 20 बरस तक के लोगों की संख्या अस्पतालों में पहुंचने वालों में सबसे अधिक है। और बच्चों के लिए अस्पताल में कोरोना वार्ड में कहीं जगह नहीं रह गई है, और इस बार आने वाले लोगों की हालत अधिक गंभीर है, और ओमिक्रॉन के शिकार लोगों को गंभीर इलाज की जरूरत पड़ रही है।

हिंदुस्तान एक तरफ तो अब अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए आम जिंदगी की तरफ लौट रहा है, और दूसरी तरफ स्कूल-कॉलेज लंबे समय तक बंद रहने के बाद अब शुरू हो रहे हैं। लेकिन इन दोनों के सिर पर कोरोना वायरस मंडरा रहा है। यह एक अलग मजबूरी है कि जिंदगी को कोरोना के साथ चलना सीखना होगा क्योंकि बच्चों को भी कितने बरस स्कूलों से दूर रखा जाए? और कामगार मजदूर भी कब तक काम से बचें। इसलिए पिछले कुछ महीनों में कामकाज तो पूरी रफ्तार से शुरु हो चुका है, स्कूल-कॉलेज अब शुरू हो रहे हैं। लेकिन दुनिया का तजुर्बा यह है कि जब सावधानी के साथ जीना बहुत लंबा खिंचने लगता है, तो फिर धीरे-धीरे लोगों को सावधानी से थकान होने लगती है। जापान सहित दुनिया के कई देशों में यह देखने में मिला था कि कोरोना को लेकर साफ-सफाई और परहेज जब बहुत लंबा चलने लगा, तो लोगों को उसकी थकान होने लगी और लोग लापरवाह होने लगे। हिंदुस्तान के सामने आज ऐसा एक खतरा मौजूद है। यहां देश और प्रदेशों की सरकारों को सावधान रहना होगा कि लोगों के मन में यह बात न बैठ जाए कि वे कोरोना से जीत चुके हैं, और थाली-चम्मच बजाना काफी होगा। लोगों को यह याद रखना चाहिए कि कोरोना वायरस तरह-तरह की शक्लें ले-लेकर आ रहा है और ऐसे नए खतरों के लिए हो सकता है कि हम बिल्कुल तैयार ना हों। आज ही एक खबर यह है कि भारत में कोरोना से रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने देश भर की प्रयोगशालाओं का जो नेटवर्क तैयार किया है, उसने सिफारिश की है कि 40 वर्ष से ऊपर के लोगों को कोरोना का बूस्टर डोज़ लगाया जाए और जो फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं उन्हें भी बूस्टर डोज दिया जाए। अब हिंदुस्तान में अठारह बरस से कम उम्र के लोगों को तो अब तक टीके लगना शुरू भी नहीं हुआ है, बूस्टर डोज की बारी कैसे आएगी?

आज केंद्र और राज्य सरकारों के पास कोरोना के मोर्चे पर तैयारी के लिए तरह-तरह के विशेषज्ञ हैं इसलिए हम मेडिकल जानकारी को लेकर अधिक बोलना नहीं चाहते लेकिन चूंकि स्कूल-कॉलेज कब तक खुले रहेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं दिख रही है, और मां-बाप आज भी दहशत से भरे हुए हैं कि वे बच्चों को स्कूल भेजें या ना भेजें। फिर यह भी समझ नहीं आ रहा है कि कोरोना वायरस वेरिएंट ओमिक्रॉन भारत पर कब तक कितना हमला कर सकता है, इसलिए स्कूल-कॉलेज को एक सावधानी यह बरतनी चाहिए कि वह ऐसे किसी संक्रमण के आने के पहले का अपना समय कुछ इस किस्म की तैयारी में लगाए कि अगर स्कूल-कॉलेज दोबारा बंद करने की नौबत आई तो वैसी हालत में बच्चे घर पर रहकर क्या-क्या पढ़ सकते हैं, किस तरह पढ़ सकते हैं। आज के माहौल में यह मानकर चलना कुछ गलत होगा कि स्कूल-कॉलेज अब लंबे समय तक बंद नहीं होंगे। उन पर एक खतरा तो कायम है ही। इसलिए स्कूल-कॉलेज को पढ़ाई के तरीकों में कुछ ऐसा बदलाव तुरंत लेकर आना चाहिए कि कुछ हफ्तों बाद अगर हफ्तों या महीनों के लिए अगर बच्चों का आना बंद हो जाए तो घर पर उनकी पढ़ाई ठीक से हो सके। अगर स्कूल-कॉलेज बंद नहीं होते हैं तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर ऐसी नौबत आती है तो उसके हिसाब से कोर्स को बांटकर और पढऩे-पढ़ाने की तकनीक को विकसित करके काम करना चाहिए। राज्य सरकारों को भी चाहिए कि वे अपने इलाज और जांच के ढांचे को एक बार फिर परख लें क्योंकि सरकारी इंतजाम खाली पड़े हुए बहुत तेजी से खराब भी हो जाते हैं। कुछ राज्यों से ऐसी खबर आ रही है कि वहां पर ऑक्सीजन बनाने के कारखानों का ट्रायल फिर से लिया जा रहा है, लेकिन देश के सभी राज्यों को ऐसी तैयारी करनी चाहिए कि अगर कोरोना की तीसरी तीसरी लहर या उसका कोई नया वेरिएंट आए, तो उसे कैसे निपटा जाए। अभी इस नए वायरस का दाखिला भर हिंदुस्तान में हुआ है, उसका हमला नहीं हुआ है, इसलिए यह समय एकदम सही है कि हर प्रदेश अपने-अपने घर को ठीक से संभाल ले, और हर स्कूल कॉलेज भी।
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