संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : पाकिस्तान में ईशनिंदा के नाम पर भीड़त्याएं कहाँ तक पहुंचेंगी, और बाकी जगह भी..
04-Dec-2021 6:25 PM
 ‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  पाकिस्तान में ईशनिंदा के नाम पर भीड़त्याएं कहाँ तक पहुंचेंगी, और बाकी जगह भी..

पाकिस्तान में धर्मांध मुसलमानों ने श्रीलंका के एक नागरिक को पीट-पीटकर मार डाला, और उसके बाद उसे जलाते हुए उसके साथ सेल्फी भी खींची। उस पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने खुदा का अपमान किया है। पाकिस्तान में ऐसे आरोपों को ईशनिंदा कहा जाता है और ईशनिंदा का कानून ऐसा कड़ा बनाया गया है कि कई अल्पसंख्यक लोगों को पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के आरोप में फांसी भी दी गई है, और कई लोगों को पीट-पीटकर मार डाला गया है। ऐसा कहा जाता है कि जब किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ कोई साजिश रचनी हो तो उस पर ईशनिंदा की तोहमत जड़ दी जाती है, और फिर न तो उसके कानूनी रूप से बचने की कोई गुंजाइश रहती है और न ही गैर कानूनी हिंसा से। अभी श्रीलंका का यह नागरिक पाकिस्तान में एक जगह कारखाने में मैनेजर था और पुलिस के मुताबिक वहां फैक्ट्री की इमारत की मरम्मत चल रही थी इसके लिए वहां की दीवार से कुछ पोस्टर हटाए गए, जिनमें शायद ऐसे भी पोस्टर रहे होंगे जिन पर पैगंबर मोहम्मद का नाम लिखा था. इसी वजह से श्रीलंकाई मूल के इस फैक्ट्री मैनेजर को पीट-पीटकर मारा गया।

इस पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने अपनी तकलीफ और अपना गुस्सा जाहिर किया है और उन्होंने इस बात के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की तारीफ की है कि उन्होंने कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है। श्रीलंका ने इस हिंसा पर कहा है कि अगर चरमपंथी ताकतें ऐसी ही आजादी से घूमेंगी तो यह किसी के साथ भी हो सकता है। उसने पाकिस्तान में काम कर रहे अपने नागरिकों की हिफाजत की उम्मीद जताई है और इस भयानक जुर्म के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। खुद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हिंसा को एक बेहद शर्मनाक दिन बताया है. पाकिस्तान के लोग एक-दूसरे से यह भी पूछ रहे हैं कि हम लोग यह क्या हो गए हैं। सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के लोग ही अपने भीतर के ऐसे हिंसक और कट्टर लोगों पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, और वहां के राष्ट्रपति ने लिखा है कि यह घटना बहुत ही दुखद और शर्मनाक है, यह किसी भी तरह से धार्मिक नहीं है, इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो मॉब लिंचिंग की जगह विचारात्मक न्याय का सिद्धांत स्थापित करता है। पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने इस घटना को भयानक और निंदनीय बताया है और कहा है कि सरकार की कार्रवाई बहुत मजबूत और स्पष्ट होनी चाहिए। ऐसे सैकड़ों ट्वीट किए गए हैं और लोगों ने लिखा है कि हर पाकिस्तानी का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए

हाल के वर्षों में हिंदुस्तान ने भी इस किस्म की कई भीड़त्याएं देखी हैं. कोई ईश्वर का अपमान करने के नाम पर, कोई लव-जिहाद नाम का आरोप लगाकर, तो कोई गाय का अपमान करने के नाम पर। हिंदुस्तान में गाय की हत्या करने पर भी ऐसा कोई कानून नहीं है कि भीड़ किसी को घेरकर मार डाले। कुछ प्रदेशों में गाय काटने के खिलाफ कानून हैं, और कई प्रदेशों में यह कानूनी है। इसलिए किसी भी प्रदेश में गौमांस की तोहमत लगाकर जब लोगों पर हमला किया जाता है, उन्हें घेरकर मार डाला जाता है, तो ऐसी धर्मांध हिंसा कानून के राज को हिकारत से देखते हुए अपनी धार्मिक भावनाओं को कानून से ऊपर करार देती है. जबकि ऐसी धार्मिक भावना का दावा करने वाले लोगों के जो आदर्श विनायक दामोदर सावरकर थे, वे लगातार गौमांस खाने के हिमायती रहे, और गौहत्या का विरोध करने वाले लोगों को वे लगातार कोसते रहे। आज भी देश के कुछ हिस्सों में भाजपा के राज में गौमांस कानूनी है, और कई राज्यों में भाजपा की सरकार ने गौ मांस को गैरकानूनी करार दिया हुआ है। ऐसी हालत में देश में जगह-जगह हिंसक लोग गौमांस की तोहमत लगाकर अनचाहे लोगों को निशाना बनाते हैं, और सार्वजनिक रूप से घेरकर मारते हैं। लोगों को कुछ अरसा पहले राजस्थान के एक मुस्लिम की हत्या भी याद होगी जिसे एक हिंदू सांप्रदायिक ने सार्वजनिक रूप से मारा था, और जिंदा जला दिया था. बाद में उसकी गिरफ्तारी भी हुई और बाद में उसका संाप्रदायिक लोगों के बीच खूब जमकर गौरवगान हुआ।

पाकिस्तान में तो ईशनिंदा के नाम पर ऐसी हिंसा कोई नई बात नहीं है और बहुत से लोगों को इस तरह से सार्वजनिक रूप से वहां मारा गया है, लेकिन हिंदुस्तान एक अधिक हद तक कानूनी राज वाला देश है और यहां पर ऐसी भीड़त्या के खिलाफ कड़े कानून है। फिर भी इस देश की बहुत सी राजनीतिक ताकतें ऐसी हैं जो भीड़त्या करने वाले लोगों का जगह-जगह अभिनंदन करती हैं और बहुत सी सत्तारूढ़ राजनीतिक ताकतें ऐसे अभिनंदन पर चुप्पी बनाए रखती हैं। कुछ लोगों को यह कहना बुरा लग सकता है लेकिन पाकिस्तान में धर्मांधता और कट्टरता का यह हिंसक नजारा देखते हुए भी जिन लोगों को हिंदुस्तान में ऐसी हिंसा को रोकने की जरूरत नहीं लग रही है, उनके सिर पर नफरत सवार है, और उन्हें अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए एक अमन-चैन का माहौल छोडक़र जाने की कोई हसरत नहीं है। हिंदुस्तान ही नहीं किसी भी देश को यह सोचना चाहिए कि आज पाकिस्तान जिस हालत में पहुंच गया है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ धर्मांधता और धार्मिक हिंसा का है। इसका जो असर पाकिस्तान पर हुआ है वैसा ही असर दुनिया में दूसरे देशों पर भी होना तय है। आज पाकिस्तान में बदअमनी बेकाबू है, लेकिन दूसरे देश भी कट्टरता को बढ़ावा देते हुए ऐसी हिंसा से अछूते नहीं रह सकते। हिंदुस्तान जैसे देश जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में ही धार्मिक हिंसा में बढ़ोतरी देखी है, उन्हें चौकन्ना होना चाहिए उन्हें कट्टरता के खतरों को समझना चाहिए।
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