संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : भारत-पाक में घटे तनाव को इस्तेमाल करते हुए बातचीत करने की जरूरत
12-Mar-2022 3:49 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  भारत-पाक में घटे तनाव को इस्तेमाल करते हुए बातचीत करने की जरूरत

भारत और पाकिस्तान के बीच दो दिन पहले अपने किस्म की एक अनोखी और पहली वारदात हुई, भारत की एक मिसाइल गलती से चली और पाकिस्तान में जाकर गिरी। यह चालीस हजार फीट की ऊंचाई तक गई और पाकिस्तानी सरहद के भीतर सवा सौ किलोमीटर तक जाकर गिरी। गनीमत यही कि इतने लंबे हवाई सफर में इस मिसाइल ने न तो किसी हवाई जहाज को निशाना बनाया, और न ही कोई इंसान इसकी चपेट में आए। जैसा कि जाहिर है, पाकिस्तान ने इस पर जमकर नाराजगी जाहिर की है, और भारत ने इस बारे में इतना ही कहा है कि नौ मार्च को मिसाइल के नियमित रखरखाव के दौरान तकनीकी खामी के चलते मिसाइल अचानक फायर हो गई, इसकी उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं, यह पता लगा है कि पाकिस्तान में जाकर गिरी है, यह दुखद घटना है, लेकिन राहत की बात यह है कि इसमें कोई मौत नहीं हुई।

यह मामला बड़ा अटपटा है। इसके पहले कम से कम से हिन्दुस्तान और उसके पड़ोसियों के बीच ऐसा कुछ नहीं हुआ था। यह भी अच्छी बात है कि सात मिनट में आसमान में उडऩे वाली इस सुपर सोनिक मिसाइल ने किसी भी विमान को चपेट में नहीं लिया, और न ही आबादी पर, या किसी नाजुक ठिकाने पर गिरी। तकनीकी चूक किसी भी जगह हो सकती है, लेकिन यह तकनीकी चूक अगल-बगल के, दुश्मन सरीखे रह गए दो परमाणु देशों के बीच हुई है जो कि एक बड़ा तनाव खड़ा कर सकती थी। अब किसी तकनीकी चूक पर तो अधिक लिखना ठीक नहीं है लेकिन यह समझने की जरूरत है कि अड़ोस-पड़ोस के दो देशों के बीच अगर गैरजरूरी तनाव फैले रहें तो उसमें ऐसी कोई घटना बहुत बड़ा टकराव शुरू कर सकती थी, और ऐसे ही मौकों को टालने के लिए लोगों के बीच रिश्ते बेहतर रहने चाहिए। यह मानकर चलना चाहिए कि तकनीकी या मानवीय चूक कभी भी, और कहीं भी हो सकती है, इसलिए तनाव को कम रखना ही अकेला जरिया है जिससे दुश्मनी पाल रहे दो देशों के बीच टकराव टल सके।

भारत और पाकिस्तान ने समय-समय पर कुछ बर्दाश्त भी दिखाया है, और अपनी-अपनी घरेलू राजनीति में लुभावने उकसावे के बावजूद इन देशों ने कभी एक-दूसरे के गलती से आ गए लोगों को भी तोहफे देकर सरहद पार भेजा है, और दोनों देशों की सरकारों के बीच हाल के कई महीनों में कोई नया टकराव नहीं हुआ है। इसलिए आज गलती से चली इस मिसाइल के बहाने से हम यह चर्चा करना चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे से बातचीत का सिलसिला फिर शुरू करना चाहिए। एक-दूसरे से टकराव और सरहद पर गोलाबारी राजधानी में बैठे फौजी अफसरों और नेताओं को तो माकूल बैठ सकती है, हथियार कंपनियों और जंग के सौदागरों को भी वह सुहा सकती है, लेकिन दोनों देशों की जनता सरहद के तनाव का बड़ा दाम चुकाती हैं। दोनों देशों में गरीबी भरपूर है, यह एक अलग बात है कि पाकिस्तान का हाल अधिक खराब है। लेकिन हिन्दुस्तान में भी गरीबी की रेखा के नीचे आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, और मनरेगा जैसी सरकारी रोजगार योजना की वजह से, मुफ्त सरकारी राशन की वजह से लोग मरने से बच रहे हैं। ऐसे में अगर पड़ोस के देशों से तनाव कम होता है, तो बड़ी-बड़ी फौजी खरीदी भी कम हो सकती है। दुनिया में कई दूसरे ऐसे इलाके हैं जहां पर अड़ोस-पड़ोस के देशों के बीच ऐसे गठबंधन या संबंध हैं कि वे एक-दूसरे से अपने को बचाने के लिए फौजी तैयारी करने को मजबूर नहीं रहते हैं। दुनिया के अलग-अलग इलाकों को बहुत आसान और सरल तुलना एक-दूसरे से नहीं हो सकती है, फिर भी गरीबी की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए फौजी फिजूलखर्ची को जहां-जहां घटाया जा सकता है, वह किया जाना चाहिए। भारत का तकरीबन तमाम फौजी खर्च पाकिस्तान और चीन से किसी जंग के खतरे को देखते हुए किया जाता है, यह एक अलग बात है कि पाकिस्तान और चीन, इन दोनों के अलग-अलग फौजी खर्च अड़ोस-पड़ोस के देशों में सिर्फ हिंदुस्तान को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। इस सिलसिले को अगर घटाया जा सके, तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों का फायदा हो सकता है, इससे लोगों की जिंदगी बेहतर हो सकती है, गरीबी से जूझा जा सकता है। परंपरागत रूप से इन दोनों देशों के आम और गैरसरकारी लोगों के बीच रिश्ते अच्छे रहते आए हैं, और उस तरफ वापिसी जरूरी है। एक मिसाइल गलती से चलकर, सरहद पार जाकर और गिरकर एक जंग भी छिड़वा सकती थी, और वह एक बातचीत भी शुरू करवा सकती है। इस हिंदुस्तानी मिसाइल के जवाब में पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया सीमित और संतुलित रही। दोनों देशों को तनाव घटाते हुए बातचीत शुरू करने का काम करना चाहिए।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news