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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : आग कहीं और लगी हुई है, लेकिन बाकी लोग भी अपने घर सम्हाल लें
31-Mar-2022 5:58 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  आग कहीं और लगी हुई है, लेकिन बाकी लोग भी अपने घर सम्हाल लें

रूस और यूक्रेन के बीच जो जंग चल रही है उसके चलते योरप के बाकी देश और अमरीका कई तरह से और कई वजहों से फिक्रमंद हैं। एक तो उन्हें गैस और तेल की सप्लाई मुश्किल में पड़ते दिख रही है जिसकी वजह से इन देशों को उस सऊदी अरब से बात करनी पड़ रही है जिससे वे अनबोला रखना चाहते थे क्योंकि उसने अपने एक पत्रकार का कत्ल करवाया था, और मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। दूसरी तरफ उन्हें ईरान के साथ नरमी बरतनी पड़ रही है क्योंकि वे रूस के मुकाबले ईरान का तेल बाजार में चाहते हैं, और इसके लिए उन्हें कई आर्थिक प्रतिबंध हटाने पड़ सकते हैं। लेकिन यूक्रेन से निकलने वाले दसियों लाख शरणार्थियों के लिए भी पड़ोस के देशों को जगह बनानी पड़ रही है जो कि आसान नहीं है। अमरीका ने भी एक लाख यूक्रेनी शरणार्थियों को जगह देने की घोषणा की है। लेकिन इन तमाम बातों के बीच पश्चिम के देशों को यूक्रेन का साथ सीमित हद तक देने के बावजूद रूस से एक असीमित खतरा है, और इसकी तरफ से हर रूस विरोधी देश चौकन्ना रहना चाहता है, लेकिन यह उतना आसान भी नहीं है।

हमारे नियमित पाठकों को याद होगा कि हम बार-बार यह बात लिखते हैं कि आने वाले वक्त की जंग सरहदों पर हथियारों से लडऩे के बजाय एक साइबर जंग भी हो सकती है जिससे कि कुछ कम्प्यूटरों पर बैठे हुए लोग दुनिया के किसी भी देश के तमाम सरकारी और सार्वजनिक इंतजाम तबाह कर सकते हैं। इस तरह की तबाही के कुछ नमूने हॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई पड़ते हैं, लेकिन उससे परे असल जिंदगी में भी ऐसे साइबर हमले होते आए हैं, और कोई वजह नहीं है कि रूस और चीन जैसी काबिल साइबर ताकतें वक्त आने पर अपने विरोधी और दुश्मन देशों को साइबर अटैक से तबाह करने की कोशिश न करें। आज यह माना जा रहा है कि चूंकि अमरीका और योरप के देशों ने रूस पर बहुत से आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं तो रूस के घोषित और अघोषित साइबर हैकर इन देशों में तबाही ला सकते हैं। रूस के हैकर पहले भी यूक्रेन पर ऐसे हमले करते आए हैं, और कभी वहां पर बिजली का इंतजाम चौपट कर देते हैं, तो कभी कुछ और। यूक्रेन पर किए गए ऐसे ही एक और रूसी हमले से एक तबाही वाला सॉफ्टवेयर दुनिया भर में फैल गया था, और उससे लाखों कम्प्यूटरों को नुकसान हुआ था, कामकाज और कारोबार चौपट हुआ था। ऐसे ही एक साइबर हमले की वजह से अमरीका में तेल की पाईप लाईन बंद करनी पड़ी थी, और अमरीका के कई राज्यों में इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी थी, पेट्रोल पंपों पर अफरा-तफरी मच गई थी। दुनिया भर में कई तरह के साइबर जुर्म करने वाले मुजरिम रूस में बसे हुए हैं, और वे सरकार के साथ मिलकर, या फिर सरकार की अनदेखी से वहां काम करते हैं, और दुनिया भर से वसूली करते हैं। अब पश्चिम की सरकारों को यह आशंका है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन रूस के साइबर मुजरिमों को पश्चिमी सरकारों और सुविधाओं पर हमला करने को कह सकते हैं।

हम पहले भी यह बात लिखते आए हैं कि सरहद पर हथियारों से एक हद तक ही नुकसान पहुंचाया जा सकता है, और अगर कम्प्यूटर हैकरों में काबिलीयत है तो वे अपने घर बैठे दुनिया भर में जहां चाहें वहां सार्वजनिक सुविधाओं को खत्म कर सकते हैं, सरकारी कामकाज ठप्प कर सकते हैं। हमारी तरह की साधारण समझबूझ रखने वाले लोगों को भी यह दिखता है कि अगर इंटरनेट और संचार कंपनियों के कम्प्यूटरों को कोई ठप्प कर दे, तो हिन्दुस्तान जैसे देश के हजारों काम ठप्प हो जाएंगे। ट्रेन और प्लेन की बुकिंग और आवाजाही खत्म हो जाएगी, बैंक, एटीएम और क्रेडिट कार्ड काम करना बंद कर देंगे, बिजलीघर ठप्प हो जाएंगे, और वित्तीय संस्थान, मेडिकल जांच, और कई किस्म के इलाज खत्म हो जाएंगे। अब तक दुनिया के सामने इतनी बड़ी तबाही करने की कोई वजह थी नहीं, लेकिन आज जब रूस और पश्चिमी देशों के टकराव को तीसरे विश्व युद्ध की आशंका लाने वाला माना जा रहा है, तब ऐसे साइबर युद्ध की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। अमरीका ने अभी एक-दो बरस के भीतर ही ऐसा साइबर हमला देखा था कि उसके पानी साफ करने के कारखानों में मिलाया जाने वाला केमिकल साइबर अटैक से बढ़ा दिया गया था, और वह जानलेवा साबित हो सकता था। अभी से 13-14 महीने पहले फ्लोरिडा में हुए ऐसे एक हमले में एक साइबर घुसपैठिये ने अमरीकी जल संयंत्र पर कब्जा कर लिया था, और रसायन की मात्रा बदल दी थी।

पश्चिम के देश भारत के भी मुकाबले कम्प्यूटर और इंटरनेट के अधिक मोहताज हैं, और उनका रोज का कामकाज इन्हीं से चलता है। हॉलीवुड की एक एक्शन फिल्म में साइबर हैकरों का एक गिरोह एकाएक शहरी ट्रैफिक सिग्नलों को चारों तरफ हरा कर देता है, और पल भर में चारों तरफ गाडिय़ां एक पर एक चढ़ जाती हैं, और आवाजाही पूरी तरह बंद हो जाती है। इसी तरह कहीं बांध के गेट खोल दिए जा सकते हैं, या बिजली की सप्लाई बढ़ाई जा सकती है जिससे कि पूरी ग्रिड ठप्प पड़ जाए। अमरीका और योरप के देशों का साइबर सुरक्षा इंतजाम भारत के मुकाबले बहुत बेहतर है, लेकिन आज पश्चिम की आशंका को देखते हुए भारत जैसे देश को यह समझना चाहिए कि चीन की तरह की साइबर आर्मी के रहते हुए वह अपने कमजोर इंतजामात पर कितने चैन से सो सकता है? आग कहीं और लगी हुई है, लेकिन बाकी लोगों को भी अपने घर सम्हाल लेने चाहिए।
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