संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : धर्म के नाम पर चलते शिक्षण-संस्थानों में बच्चों का यौन शोषण आम बात
09-May-2022 4:19 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : धर्म के नाम पर चलते शिक्षण-संस्थानों में बच्चों का यौन शोषण आम बात

उत्तरप्रदेश के मेरठ में अपना एक निजी मदरसा चलाने वाले मुफ्ती ने वहां पढऩे वाले ग्यारह बरस के एक बच्चे से 19 बार रेप किया है। ईद के दिन घर गए बच्चे ने घरवालों को यह पूरा मामला बताया और यह भी बताया कि वह दूसरे बच्चों के साथ भी ऐसी ही हरकत करता है। इसके बाद परिवार पुलिस तक पहुंचा, रिपोर्ट लिखाई, और जांच में पता लगा कि मदरसे का मुफ्ती और बच्चों के साथ भी ऐसा करते आया है। मदरसे में चौबीस बच्चे रहते हैं, और अपनी खुद की जमीन पर इस मुफ्ती ने अवैध मदरसा खोल रखा है, और बरसों से बच्चों के साथ ऐसी हरकत करते आया है। जाहिर है कि मदरसे में पढऩे आए हुए बच्चे गरीब परिवारों के होंगे, और इसीलिए वे मुफ्त में मिलने वाली पढ़ाई के लिए यहां आकर रह रहे होंगे। धर्म की ऐसी पढ़ाई कुछ मठ-मंदिरों के साथ जुड़ी संस्कृत शालाओं में भी होती है, और वहां भी गांव-गांव से गरीब परिवारों के बच्चों को लाकर रखा जाता है। ईसाई स्कूलों और हॉस्टलों में पादरियों द्वारा बच्चों से बलात्कार का सैकड़ों बरस से चले आ रहा इतिहास है, पहले तो रोमन कैथोलिक चर्च के मुख्यालय, वेटिकन के पोप ने इस जुर्म को छुपाने की बड़ी कोशिश की, लेकिन फिर जब दुनिया के कई देशों से बच्चों के यौन शोषण के मामले बड़ी संख्या में आने लगे तो चर्च को अपने लोगों के इस जुर्म को मंजूर करना पड़ा, और एक सार्वजनिक माफी भी मांगनी पड़ी। लोगों को अगर याद होगा तो अमरीका में हरे कृष्ण आंदोलन, इस्कॉन, के आश्रम-स्कूल के छात्रों के साथ दशकों तक यौन शोषण चलते रहा, और ऐसे दर्जनों बच्चों में तीन साल से अठारह साल तक के उम्र के लडक़े और लड़कियां दोनों थे। इन बच्चों के साथ आश्रम शाला में मारपीट भी की जाती थी, और उन्हें बहुत भयानक स्थितियों में रखा जाता था। यह मामला अदालत तक पहुंचने पर बहुत बड़ी रकम चुकाकर अदालत के बाहर इसका निपटारा किया गया। बच्चों के ऊपर ऐसे जुल्म पर अमरीका में एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई थी।

जहां कहीं धर्म से जुड़ी हुई कोई बात आती है, तो वहां लोगों का तरह-तरह से शोषण होना तय रहता है। धर्म का लबादा पहनकर आसाराम ने अपने आपको बापू कहलवाना शुरू किया, बड़े-बड़े मुख्यमंत्रियों को अपने पैरों पर बिछवाने का शौक पूरा किया, और अपने ही छात्रावास की एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार किया जो कि इतना पुख्ता मामला साबित हुआ कि आज तक आसाराम को हिन्दुस्तान की किसी अदालत से कोई राहत नहीं मिली। फिर यह भी है कि धर्म के नाम पर सिर्फ औरत-बच्चों को ही जुल्म नहीं सहने पड़ते, पंजाब-हरियाणा में बिखरे हुए राम-रहीम के भक्त मर्दों को भी ऑपरेशन से बधिया बनाया जाता था, और उसकी भयानक कहानियां जांच एजेंसियों के पास बयान की शक्ल में हैं। दरअसल धर्म लोगों को अंधविश्वासी भक्तों के समर्पित तन-मन तक ऐसी पहुंच दे देता है कि वे मनचाहे बलात्कार कर सकते हैं, लोगों को मानसिक गुलाम बनाकर रख सकते हैं।

आज जब दुनिया में यह अच्छी तरह साबित हो चुका है कि बचपन से बच्चों को धर्म की शिक्षा में डालने का मतलब उन्हें अशिक्षित बनाने से अधिक कुछ नहीं है, तो ऐसे में किसी भी धर्म का समाज जब ऐसी शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देता है, तो वह अपनी अगली पीढ़ी को अनपढ़ और कमअक्ल, धर्मान्ध और दकियानूसी तैयार करता है। चाहे किसी भी धर्म का मामला हो, छोटे बच्चों को धर्म का चोगा पहने हुए शिक्षकों के हवाले करने का मतलब उन्हें बलात्कार के खतरे में डालना होता है। आज जो धार्मिक संगठन अपने धर्म की रक्षा के नाम पर, उसके विस्तार के लिए ऐसी धार्मिक शिक्षा शुरू करते हैं, वे सिर्फ अपने धर्म के गरीब और अनपढ़ लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं क्योंकि ऐसे संस्थानों में पढऩे वाले बच्चे अपनी जिंदगी बर्बाद करने के अलावा और कुछ नहीं करते। धर्म का झांसा इतना तगड़ा रहता है कि गरीब मां-बाप उसमें तुरंत फंसते हैं, और यह सवाल भी उन्हें नहीं सूझता कि उनके धर्म के मठाधीश अपने बच्चों को पढऩे के लिए कहां भेजते हैं। आज अगर दुनिया के किसी भी देश में बच्चों को पढ़ाई के नाम पर सिर्फ धर्मशिक्षा देने के ऐसे सिलसिले का विरोध किया जाएगा, तो ऐसी आधुनिक और वैज्ञानिक पहल का धर्म की ओर से जमकर विरोध होगा। लेकिन अगर वैज्ञानिक सोच के मामले में पिछड़े हुए किसी धर्म के समाज को आगे बढ़ाना है, तो उसे शिक्षा के नाम पर सिर्फ धर्मशिक्षा देने से रोकना होगा। आज हिन्दुस्तान में जो बच्चे सिर्फ संस्कृत पाठशाला में पढ़ाए जा रहे हैं, मदरसे में पढ़ाए जा रहे हैं, क्या उनका कोई भविष्य है? या फिर वे धर्म के नाम पर मुफ्तखोरी करने के लिए तैयार किए जा रहे हैं जिनका रोजगार तब तक चलता रहेगा जब तक धर्म ईश्वर का झांसा देने में कामयाब रहेगा?

धर्म के नाम पर चलने वाले ऐसे संस्थान जहां भी रहेंगे, और जिनमें गरीब बच्चों को रखकर पढ़ाया जाएगा, वहां पर बच्चों के शोषण का ऐसा खतरा भी बने रहेगा। अब इस एक मदरसे में दर्जनों बच्चों से बरसों तक अगर सेक्स-शोषण चलते रहा था, तो उसका कैसा असर इन बच्चों पर पूरी जिंदगी के लिए पड़ा होगा? सरकारों और समाजों को आज के वक्त की जरूरत को समझना चाहिए और अपने बच्चों का वर्तमान और भविष्य दोनों बचाना चाहिए।
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