संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : घर के भीतर भयानक हिंसा से परिवार के ढांचे पर उठते सवाल
11-May-2023 6:38 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : घर के भीतर भयानक  हिंसा से परिवार के  ढांचे पर उठते सवाल

लोगों के मन में अपने परिवार के लिए एक असाधारण जगह रहती है। लोग दूसरों के साथ बेइंसाफी करके भी अपने परिवार के फायदे के काम करने के लिए एक पैर पर खड़े रहते हैं। कहावत और मुहावरे देखें तो अपने खून को लेकर कितने ही किस्म की बातें लिखी गई हैं, और हिन्दी फिल्में देखें तो एक वक्त रगों के खून को लेकर कैसे-कैसे डायलॉग नहीं लिखे जाते थे। लेकिन खबरों को देखें तो समझ पड़ता है कि अपने लहू की तमाम बातें हमेशा ही सच नहीं होतीं। हो सकता है कि अधिकतर मामलों में सही होती हों, लेकिन बहुत से मामलों में वे गलत भी साबित होती हैं। हिन्दुस्तान में ही जाने कितने ही मामले परिवार के भीतर की तरह-तरह की हिंसा और ज्यादती के सामने आते हैं। अब एक खबर इंग्लैंड से आई है कि 54 बरस की एक महिला सारा, जब छोटी थीं तो पिता और भाई ने उनके साथ बार-बार रेप किया, और बड़े होने के बाद उन्हें इस बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं रहा। लेकिन अभी दो बरस पहले जब सारा ने अपने मेडिकल रिकॉर्ड देखे, तो उसमें यह था कि साढ़े तीन साल की उम्र में उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, और उनके शरीर को भीतर से बड़ा नुकसान पहुंचा था, बचाने के लिए सर्जरी करनी पड़ी थी, और सब कुछ हॉस्पिटल के रिकॉर्ड पर आया था। उसे हल्का-हल्का से याद है कि किस तरह बाप लगातार बलात्कार करते रहा, और मां-बाप अलग हो गए तो बड़े भाई ने बलात्कार करना शुरू किया। इसी मानसिक यातना की वजह से सारा की पहली शादी टूटी, और बाद में जब 2021 में उन्हें मेडिकल रिकॉर्ड देखने मिले, तो उसमें बलात्कार से उनके शरीर को पहुंचे नुकसान और सर्जरी का जिक्र था। इसके बाद सारा ने अपने बाप और भाई के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखाई, एक बरस में ही अदालत से बाप को 20 साल, और भाई को 12 साल की कैद सुनाई गई। बाप अभी 73 साल का है, और भाई 54 साल का। 

ऐसे मामले बहुत से परिवारों में होते हैं लेकिन वे इस हद तक शायद नहीं पहुंचते, और घर के बाकी लोग बच्ची की शिकायत को दबाने में कामयाब हो जाते हैं। अभी जब इस महिला सारा ने अपने बाप और भाई को सजा दिलवाई, तो उसके पीछे भी उसका तर्क यही था कि अब उसे लग रहा है कि वे सलाखों के पीछे हैं, और बाकी लड़कियां उनसे महफूज हैं। जब कोई परिवार अपने भीतर ऐसे मामले को छुपा लेता है, तो वह सबसे खराब और हिंसक दर्जे के एक बलात्कारी को बचा भी लेता है जो कि बाहर या घर के भीतर दूसरे बच्चों के लिए, दूसरे लोगों के लिए खतरा बने ही रहेगा। इसलिए कानून से परे जाकर लोगों को ऐसी किसी माफी के बारे में नहीं सोचना चाहिए जिससे कि कोई हिंसक मुजरिम दूसरों के लिए खतरा बना आजाद घूमता रहे। 

इस किस्म के मामले पर लिखने की आज इसलिए भी सूझी कि एक दूसरी खबर मध्यप्रदेश के सागर से आई है। वहां एक परिवार में मां-बाप और एक बेटे का कत्ल हो गया। 2020 के बाद जांच चलती रही, लेकिन बाद में पता लगा कि घर के ही नाबालिग बेटे ने रिटायर्ड फौजी, गार्ड पिता की बंदूक से पहले मां-बाप को गोली मारी, फिर छोटे भाई की गला घोंटकर हत्या की। यह लडक़ा 12वीं क्लास में पढ़ता था, और बिगड़ी हुई आदतों की वजह से  घर से और पैसे चाहता था जो न मिलने पर उसने कत्ल किए, लाशों के बीच में ही दो दिन सोते रहा, वहीं खाना पकाकर खाते रहा, और इस बीच वह नया महंगा सूट पहनकर स्कूल की फेयरवेल पार्टी में गया। बाद में जांच में पुलिस को यह पता लगा तो इस नाबालिग आरोपी को सजा सुनाई गई। 

इन दो मामलों की चर्चा का मकसद यही है कि परिवार को लेकर जो धारणा है, वह सौ फीसदी मजबूत नहीं रहती है, वह जगह-जगह तनाव झेलती है, और कई मामलों में जवाब दे जाती है। लोगों को परिवार को मजबूत बनाए रखने के लिए लगातार मेहनत भी करनी चाहिए। परिवार के भीतर गलत काम न हो, इसके लिए निगरानी भी रखनी चाहिए, सावधानी भी बरतनी चाहिए। पुराने वक्त से सयाने लोग यह कहते आए हैं कि आग और पेट्रोल को आसपास नहीं रखना चाहिए। बहुत से समाजों में वर्जित संबंधों वाले औरत-मर्द का अकेले साथ रहना भी रोका जाता है ताकि किसी सेक्स-संबंध की नौबत ही न आए। और समाज में ऐसे वर्जित संबंध बहुत पहले से बहुत सोच-समझकर तय किए गए थे, जो धीरे-धीरे कई जगहों पर लापरवाही के शिकार भी हो गए। सेक्स-संबंधों से परे यह भी समझने की जरूरत है कि घर के बच्चों को खर्च के मामले में, उनके शौक और उनकी जिद के मामले में इतना अधिक बिगाडक़र नहीं रखना चाहिए कि वे सागर के इस लडक़े की तरह पूरे परिवार को ही मार डाले। पिछले हफ्ते-दस दिन में ही परिवार के भीतर हिंसा के आधा दर्जन मामले छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं जिनमें मां-बाप, बेटे ने ही एक-दूसरे को मार डाला। परिवार को अगर परिवार की मजबूती का फायदा पाना है तो उसे उतना ही सावधान भी रहना होगा। सावधान न रहने से परिवार के लोग इस धोखे में रहते हैं कि वे परिवार के लोगों के बीच सुरक्षित हैं, और उन्हें धोखा होने का खतरा अधिक रहता है क्योंकि वे अपनों के बीच अधिक चौकन्ना होने की जरूरत महसूस नहीं करते। 

कुल मिलाकर परिवार एक अच्छी और कामयाब व्यवस्था है, लेकिन इसे अच्छा बनाए रखने के लिए मेहनत, सावधानी, और निगरानी सबकी जरूरत रहती है। परिवार के भीतर भी एक-दूसरे के प्रति भरोसे को लेकर कोई अंधविश्वास नहीं होना चाहिए, एक साधारण सावधानी को अविश्वास नहीं मानना चाहिए। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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