संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : तुमसे पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त नशीं था, उसको भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था
28-Dec-2023 6:50 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  तुमसे पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त नशीं था,  उसको भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था

तेलंगाना में अभी कांग्रेस की सरकार बनी ही है कि नए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने यह आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीआरएस के पिछले मुख्यमंत्री के.चन्द्रशेखर राव ने किसी को बताए बिना गुपचुप तरीके से 22 महंगी, बुलेटप्रूफ कारों की सरकारी खरीद की थी। उनका इरादा दुबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद इनको अपने काफिले में इस्तेमाल करने का था। इन कारों को विजयवाड़ा में एक जगह छुपाकर रख दिया गया था। कांग्रेस को अंधाधुंध शानदार जीत दिलाने वाले रेवंत रेड्डी ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उन्हें भी मुख्यमंत्री बनने के बाद दस दिनों तक इन कारों के बारे में नहीं बताया गया था। उन्होंने जब अपने लिए पुरानी सरकारी कारों की मरम्मत की बात कही, तो उन्हें कुछ अफसरों ने कहा कि तीन-तीन करोड़ दाम वाली 22 कारें पिछले मुख्यमंत्री खरीदकर गए हैं, और उनका इस्तेमाल दुबारा शपथ ग्रहण के बाद करने की उनकी योजना थी। यह लोकतंत्र में एक बहुत बड़ा दुस्साहस दिखता है कि कोई नेता चुनाव में जाने के ठीक पहले जीतने की उम्मीद के साथ इतनी बड़ी फिजूलखर्ची करे। किसी और राज्य से किसी मुख्यमंत्री के अपने लिए नए विमान खरीदने की चर्चा है, कहीं कोई मुख्यमंत्री अपने लिए नया हेलीकॉप्टर भी लेते हैं, लेकिन इन सबके बीच कारों के अपने काफिले पर 66 करोड़ रूपए खर्च करने का तेलंगाना का यह मामला बहुत ही भयानक है। तेलंगाना के जानकार अखबारनवीस बताते हैं कि राज्य का सचिवालय भी साढ़े 6 सौ करोड़ रूपए (जमीन के दाम शामिल नहीं) की लागत से केसीआर ने बनवाया, इस महलनुमा इमारत के उद्घाटन के बाद से वे खुद इसमें एक दिन के लिए भी नहीं गए, और अब कांग्रेस के रेवंत रेड्डी इसके मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठेंगे। सचिवालय की यह इमारत एक महल की तरह दर्शनीय बनी हुई है, और पर्यटक इसके सामने आकर सेल्फी लेने को एक जरूरी रिवाज मानने लगे हैं। 

तेलंगाना में पिछले मुख्यमंत्री के मंत्री बेटे, केटीआर प्रदेश में सबसे अधिक मंत्रालयों वाले मंत्री थे, और अभी वे कांग्रेस सरकार पर नजर रखने के लिए अपने नेताओं को, एक शैडो टीम (छाया मंत्रिमंडल) खुला आव्हान कर चुके हैं। इसके जवाब में रेवंत रेड्डी ने कहा है कि शैडो टीम की क्या जरूरत है, उनके नेता तो यहां मंत्री रहे हुए हैं, और उन्हीं को अब सरकार पर नजर रखने के लिए लगा देना चाहिए, वे एक छाया मंत्रिमंडल की तरह काम कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सरकार में रहते तो काम किया नहीं था। दरअसल तेलंगाना में पिछली सरकार के गलत कामों को उजागर करने का सिलसिला नई सरकार चला रही है, और इसी को लेकर वहां टकराव चल रहा है, जिससे कई तरह के मामले उजागर हो रहे हैं। इसी सिलसिले में यह बात उजागर हुई कि सादे सफेद कपड़ों में आम इंसान सरीखे दिखने वाले पिछले मुख्यमंत्री केसीआर के काफिले के लिए 22 बुलेटप्रूफ गाडिय़ां खरीदी गई थीं। यह बात अकल्पनीय है कि कोई मुख्यमंत्री अपने काफिले की हर गाड़ी को बुलेटप्रूफ बनाने के लिए तीन-तीन करोड़ रूपए खर्च करे। 

मुख्यमंत्री हों, या प्रधानमंत्री, अपने घर, दफ्तर, काफिले की कारों, अपने विमान और इन सबकी साज-सज्जा पर इस तरह खर्च करते हैं कि मानो वे पूरी जिंदगी वहीं बने रहने की लीज लिखाकर लाए हैं। देश की आबादी इतनी गरीब है कि केन्द्र सरकार, या अलग-अलग राज्य सरकारों को मुफ्त में राशन देना पड़ता है, तो लोग भुखमरी से बच पाते हैं। बच्चे तो फिर भी अन्न से परे कुछ भी न मिल पाने की वजह से कुपोषण के शिकार रहते ही हैं। ऐसे देश में जब जनता का पैसा नेताओं के शाही निजी आराम पर खर्च होता है, तो लगता है कि लोकतंत्र कहां है? सरकारी इमारतों को महलों की शक्ल में बनयाा जाता है, और फिर वहां रहने वालों का मिजाज सामंती हो जाए, तो इसमें हैरानी कैसी? हम जनता के पैसों पर बनने वाले सरकारी दफ्तरों को महलों की शक्ल में देख-देखकर थक गए हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जो म्युनिसिपल ठीक से कचरा साफ नहीं करवा सकता, उसने अपना दफ्तर महलनुमा बनाया है, नाम व्हाईट हाऊस रखा है कि मानो वह अमरीकी राष्ट्रपति का दफ्तर है। सत्ता अपने छोटे-छोटे अहंकार सहलाने के लिए जनता का बड़ा-बड़ा पैसा खर्च करती है, और हिन्दुस्तान में ऐसी सरकारी आपराधिक फिजूलखर्ची पर कोई अदालती रोक भी नहीं है क्योंकि इसे सरकार का विवेकाधिकार मान लिया जाता है। यह एक अलग बात है कि यह गरीब जनता के प्रति हिकारत दिखाने वाला विवेकहीन अधिकार अधिक है क्योंकि यह जनता का खून निचोडऩे के साथ-साथ उसे यह गौरव दिलाने की कोशिश भी करता है कि यह लोकतंत्र की ताकत है। 

जब संसद या विधानसभा में विपक्ष की आवाज या तो निकले ही नहीं, या उसे सुना नहीं जाए, तो फिर जनता के पैसों की फिजूलखर्ची पर कोई रोक नहीं लग पाती। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कई एकड़ जमीन पर 65 करोड़ रूपए से मुख्यमंत्री निवास बना है, इसे डॉ.रमन सिंह के कार्यकाल में मंजूरी दी गई थी, भूपेश बघेल ने पांच बरस ईंट-गारा ढोकर इसे पूरा किया, और अब विष्णुदेव साय इसमें रहने जा रहे हैं। हमने कुछ दिन पहले अपने यूट्यूब चैनल पर मंत्री-मुख्यमंत्री, और अफसरों के लिए बहुत अंधाधुंध बड़े बंगले बनवाने के बारे में कहा था जिस पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया भी आई थी। लोकतंत्र में जो जनसेवा के नाम पर सत्ता पर आते हैं, उन्हें एक सेवक सरीखी जिंदगी जीने की भी आदत रखनी चाहिए। सरकारी इमारतों को न सिर्फ बनाना खर्चीला रहता है, बल्कि उनके रख-रखाव पर भी जनता का ही पैसा लगता है। इसलिए किसी भी जनकल्याणकारी सरकार को ऐसा नया खर्च शुरू करने के पहले यह भी सोचना चाहिए कि उसे देश-प्रदेश की जनता को मुफ्त में अनाज क्यों देना पड़ रहा है? और ऐसी जनता के खजाने से खुद पर इतना खर्च क्यों करना चाहिए कि मुख्यमंत्री निवास 8 एकड़ पर बने, और प्रधानमंत्री निवास 15 एकड़ पर! 

हमारा ख्याल है कि लोकतंत्र में हर सरकार को अपने से पहले वाली सरकार के गलत कामों, फिजूलखर्चियों, और अपराधों पर श्वेत पत्र जारी करना ही चाहिए जैसा कि आज तेलंगाना में हो रहा है। श्वेत पत्र एक किस्म का तथ्य पत्र होता है जिसमें जानकारी लोगों के सामने रख दी जाती है। सत्ता में आने के पहले हर पार्टी अपने चुनाव अभियान में कई तरह के आरोप लगाती है, और सत्ता में आने पर ऐसी पार्टी को पूरे पारदर्शी तरीके से तथ्य जनता के सामने रख देने चाहिए। देश में आज सूचना के अधिकार का जो कानून लागू है, वह सूचना मांगने का अधिकार है। जबकि लोकतंत्र और संविधान की भावना यह होनी चाहिए कि सरकार खुद होकर जनता के सामने तमाम चीजों को रखती चले। यह सबका तजुर्बा है कि जहां-जहां चीजों को छुपाया जाता है, वहां-वहां जुर्म अधिक होते हैं, जैसे कि गरीब जनता के पैसों से 66 करोड़ का कार काफिला! 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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