संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कैमरों में दर्ज गैंगरेपिस्ट पकडऩे में लगे 60 दिन, किसका सम्मान बढ़ा?
01-Jan-2024 4:06 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : कैमरों में दर्ज गैंगरेपिस्ट पकडऩे में लगे 60 दिन, किसका सम्मान बढ़ा?

उत्तरप्रदेश की बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में दो महीने पहले विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा की राह रोककर उससे गैंगरेप करने और उसका वीडियो बनाने वाले तीन नौजवानों को योगी की पुलिस ने अब 60 दिन बाद गिरफ्तार किया है। इनका वीडियो और इनकी तस्वीरें पहले दिन से पुलिस के पास रहने के बावजूद, और एक हफ्ते के भीतर शिनाख्त हो जाने के बावजूद गिरफ्तारी में दो महीने शायद इसलिए लगे कि ये तीनों ही भाजपा के आईटी सेल से जुड़े हुए लोग थे। अब खबर आई है कि पिस्तौल की नोंक पर किए गए इस कुकर्म के बाद भाजपा ने इन लोगों को पार्टी से निकाल दिया है। इस बीच अखबारों और सोशल मीडिया पर ऐसी अनगिनत तस्वीरें आई हैं जिनमें बलात्कार के ये तीनों आरोपी भाजपा के सबसे बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें तैर रही हैं, और बहुत से विपक्षी दलों ने भाजपा को इस बात को लेकर घेरा भी है। यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपने चुनाव क्षेत्र का भी है। और हैरानी की बात यह है कि गैंगरेप के आरोपियों की शिनाख्त हो जाने के बाद भी 60 दिन बाद जाकर उन्हें पकड़ा गया, और इस बीच वे मध्यप्रदेश में भाजपा का चुनाव प्रचार भी करते रहे।

यह बात समझने की जरूरत है कि भाजपा आईटी सेल कहे जाने वाले लोगों के सोशल मीडिया पोस्ट बरसों से ऐसे रहते आए हैं जो कि दूसरी विचारधारा के लोगों को बलात्कार की धमकी देने वाले रहे हैं, और असहमत लोगों के परिवार की महिलाओं के खिलाफ सबसे गंदी जुबान इस्तेमाल करके उनकी मानसिक शांति खत्म करने की संगठित कोशिश चलती ही रहती है। लोगों को यह बात भी हक्का-बक्का करती है कि ऐसा पोस्ट करने वाले कई लोग अपनी प्रोफाइल पर यह भी लिखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें फॉलो करते हैं। ऐसे लोग भी जब दूसरों के खिलाफ परले दर्जे की हिंसक और अश्लील जुबान में जुर्म के दर्जे की धमकियां लिखते हैं, तो यह हैरानी भी होती है कि क्या सचमुच ही प्रधानमंत्री का इतना बड़ा निगरानीतंत्र इस बात को पकड़ नहीं पाता है कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट कैसे-कैसे लोगों को फॉलो करते हैं। अब जब गैंगरेप, और ब्लैकमेल के वीडियो बनाने वाले ये तीन नौजवान भाजपा आईटी सेल के निकले हैं, तो पार्टी को सचमुच ही अपनी मशीनरी के बारे में सोचना चाहिए। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा किस तरह के कार्यकर्ता और कर्मचारी रखती है, वे किस तरह के काम करते हैं, इसे अनदेखा करना लोकतांत्रिक नहीं होगा। 

हमारा मानना है कि जो लोग सत्ता की हिफाजत पाते हुए बरसों तक हिंसक और अश्लील धमकियां देने में लगे रहते हैं, उनकी अपनी सोच उन्हें खुद भी की-बोर्ड से परे भी हिंसक और अश्लील बनाकर छोड़ती है। किसी भी संगठन को अपने लोगों को इतना बुरा बनने से बचाना चाहिए क्योंकि कोई संगठन, कंपनी, धर्म, जाति, या पेशा उतने ही अच्छे गिनाते हैं जितने कि उसके सबसे बुरे लोग रहते हैं। किसी धर्म के लोग जब हिंसक घटनाएं करते हैं, तो अपने पूरे धर्म को बदनाम करते हैं। यहां पर हम इस बात की खास चर्चा करना चाहेंगे कि हर धर्म के हर व्यक्ति के लिए बराबरी का सेवाभाव रखना, और उस पर अमल करना सिक्खों का आम मिजाज है, और उनके धर्म का सम्मान दूसरे धर्म के लोगों में भी इससे बढ़ता है। हमारा ऐसा ख्याल है कि अमृतसर के स्वर्णमंदिर में दूसरे धर्मों के जितने लोग पूरी आस्था से जाते हैं, वहां के रिवाज मानते हुए वहां वक्त गुजारते हैं, वैसा शायद ही दुनिया में किसी और धर्म के साथ होता होगा। और ऐसा होने के पीछे दुनिया भर के गुरुद्वारों में बिना किसी भेदभाव के सबको एक लंगर में बराबरी से खाना खिलाने की बात भी है, और किसी भी हादसे या प्राकृतिक विपदा के वक्त मदद करने में सिक्खों का सबसे आगे रहना भी है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सिक्ख धर्म को तलवार के दम पर किसी दूसरे पर नहीं लादा गया, बल्कि गुरूनानक देव ने दूसरे धर्मों, और उन धर्मों में नीची मानी जाने वाली जातियों के संतों का लिखा हुआ जिस उदारता से गुरूग्रंथ साहब में जोड़ा है, वह उदारता भी सिक्ख धर्म को दुनिया का एक सबसे महान धर्म बनाती है। लोगों को याद होगा कि जब संत कहे जाने वाले जनरैल सिंह भिंडरावाले के आतंकी चारों तरफ दूसरे धर्मों के लोगों से खून-खराबा करते थे, उस वक्त लोगों के मन में देश भर में सिक्खों के प्रति भावनाएं भी ऐसी नहीं थी जैसी कि उस दौर के निकल जाने के बाद और सिक्खों के सेवाभाव को देखने के बाद लोगों के मन में उसके बाद जल्द ही बदल गई थी। किसी भी धर्म, जाति, या संगठन का सम्मान और कुछ भी नहीं होता, सिवाय उसके लोगों के बर्ताव और कामकाज के। इसलिए हर संगठन और संस्था को यह ख्याल रखना चाहिए कि उसके सबसे बुरे लोग उसकी कितनी बुरी साख बना रहे हैं। 

आज टेक्नॉलॉजी के इस जमाने में सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग किन संगठनों से जुड़े हुए हैं, वे किस विचारधारा के लिए काम कर रहे हैं, इसे न तो जानना मुश्किल रहता है, और न ही उसके सुबूत जुटाना मुश्किल रहता है। दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों ने बड़ी आसानी से ऐसा रिसर्च और अध्ययन किया है कि ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर किन संगठनों के लोग किस तरह एक-दूसरे से जुडक़र संगठित हमले की शक्ल में दूसरों का जीना हराम करते हैं, उनका मनोबल तोड़ते हैं, उनकी साख खत्म करते हैं। जब ऐसे ही लोग इस काम को अपना पेशा और भविष्य दोनों मान लेते हैं, और जब उन्हें यह भी भरोसा हो जाता है कि देश-प्रदेश का कानून उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता, तो वे सोशल मीडिया पर अपनी दी गई धमकियों पर अमल करते हुए असल जिंदगी में भी किसी लडक़ी को घेरकर उससे गैंगरेप करते हैं, उसके वीडियो बनाते हैं, और उसका जीना मुश्किल करते हैं। दिक्कत यह है कि जो योगी सरकार अपने प्रदेश में सैकड़ों आरोपियों को मुजरिम करार देते हुए मुठभेड़ में उन्हें मार रही है, उसे इन नौजवानों की तस्वीरें रहते हुए, उनके वीडियो रहते हुए, चेहरे साफ दिखते हुए भी पकडऩे के लिए दुनिया भर का सामाजिक दबाव लगता है, और 60 दिन का वक्त लगता है। जिस पार्टी की भी सरकार अपने मुजरिमों के लिए ऐसी नरमी बरतती है, वह अपने और लोगों को भी ऐसा करने का हौसला देती है। और जब यह पार्टी किसी एक धर्म का झंडा लेकर चलती है, उसके भाड़े के सैनिक इसी धर्म का प्रचार करते हुए असहमत लोगों से अश्लील हिंसा की धमकियां देते हैं, तो उससे फिर धर्म का नाम भी बदनाम होता है। और किसी धर्म का एकाधिकार किसी एक पार्टी या संगठन के पास नहीं रहता, उस धर्म को मानने वाले तमाम लोगों का यह हक रहता है कि उनके धर्म को बदनाम करने की छूट किसी पार्टी या संगठन को न मिले। 

हम एक बार फिर सिक्खों पर लौटना चाहेंगे, जिस तरह आम सिक्ख सेवाभाव से भरे हुए किसी धर्म का भेदभाव किए बिना सबकी सेवा करते हैं, सबकी मदद करते हैं, किसी दूसरे धर्म को निशाना नहीं बनाते हैं, अपने धर्म को ही महान, और दूसरों को घटिया नहीं बताते हैं, उनसे सीखने की जरूरत है। जिस तरह कबीर से लेकर रैदास तक, अनगिनत गैरसिक्ख संतों को ग्रंथ साहब में सम्मान से शामिल किया गया है, उससे उन धर्मों को भी सोचना चाहिए जिनके आज के ठेकेदार अपने ही धर्म की कुछ नीची कही जाने वाली जातियों को अपमान से देखते हैं, उनके साथ भेदभाव करते हैं, उन्हें शामिल नहीं करते हैं। यह एक व्यापक मुद्दा है, और कोई एक राजनीतिक पार्टी या धार्मिक संगठन किसी धर्म का एकाधिकार नहीं रखते, उसका पट्टा अपने नाम लिखाए हुए नहीं हैं, इसलिए उस धर्म को बदनाम करने वाले सभी लोगों को यह परवाह करनी चाहिए कि उसके कौन से झंडाबरदार गैंगरेप करते हुए अपने आपको धर्म का सिपाही भी करार देते हैं। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news