संपादकीय
आज उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ में बलात्कार की वारदातें एक के बाद एक सामने आ रही हैं, और उन्हें लेकर बहुत चर्चा भी हो रही है कि किस तरह ऊंची जाति या सत्ता की ताकत से ये बलात्कार हो रहे हैं, या बलात्कारी बच रहे हैं। ऐसे में पूरे देश के जिम्मेदार और संवेदनशील लोग भडक़े हुए हैं, वे आहत हैं, तनाव में हैं, और सोशल मीडिया पर लगातार अपनी सोच लिख भी रहे हैं। ऐसे में उत्तरप्रदेश का एक भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह लगातार ऐसे बयान दे रहा है जो उसे विधायक तो दूर, मतदाता भी बनाए न रखने के लायक साबित कर रहे हैं। उसका एक वीडियो अभी सामने आया है जिसमें वह हाथरस की इस दलित लडक़ी के साथ गैंगरेप और उसकी हत्या, और उसे सरकारी बंदूकों की नोंक पर रफा-दफा करने की पूरी कोशिश के बाद भी यह कह रहा है कि सरकार और तलवार मिलकर भी बलात्कार नहीं रोक सकते, और मां-बाप अपनी लड़कियों को संस्कार दें तो ही बलात्कार रोके जा सकते हैं। जिस व्यक्ति की इंसानियत की समझ ऐसी हैवानियत भरी हुई हो वह उत्तरप्रदेश में कानून निर्माता विधायक है। इसी विधायक का दूसरा वीडियो सामने आया है जिसमें वह बलात्कार की किसी दूसरी वारदात को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में मीडिया से ही बार-बार पूछ रहा है कि क्या तीन-चार बच्चों की किसी मां से भी कोई बलात्कार करेगा? और यह बात वह अपने खुद के शादीशुदा होने की बात कहते हुए अपने तजुर्बे के साथ, और दावे के साथ कह रहा है।
क्या देश में मौजूदा कानूनों में से कोई भी ऐसी घटिया, नाइंसाफ, और हिंसक सोच रखने वाले को विधानसभा की सदस्यता से हटाने के लिए नहीं हैं? अगर नहीं हैं, तो यह लोकतंत्र कमजोर है। ऐसे आदमी से मतदान का हक भी छीनना चाहिए क्योंकि वह तो बलात्कारी को वोट देगा क्योंकि गुनहगार तो संस्कारहीन लड़कियां होंगी, या कुछ बच्चों की मां बन चुकी ऐसी महिला होगी जो कि बलात्कार का झूठा आरोप ही लगा सकती है क्योंकि वह तो बलात्कार के लायक रह नहीं गई है।
हैरानी इस बात पर भी होती है कि ऐसे खुले वीडियो इस आदमी की ऐसी बातें पहली बार नहीं बता रहे हैं, पहले भी यह ऐसी ही हिंसक और बेइंसाफ बातें कहते आया है, और देश-प्रदेश के महिला आयोग सुविधाओं की मलाई का कटोरा चट करते हुए ऐसे लोगों को कोई नोटिस तक नहीं भेजते हैं। अभी बहुत समय बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट इंसाफ के लिए एक पहल करते दिखा जिसमें उसने हाथरस के गैंगरेप, हत्या, और उसके बाद पुलिस गुंडागर्दी से परिवार बिना उसके अंतिम संस्कार को लेकर सरकार से जवाब मांगा है, और जुड़े हुए अफसरों को अदालत में पेश होने कहा है। कानून की शून्य समझ वाले, यूपी के कानून-व्यवस्था के एडीजी को भी अदालत में नोटिस भेजकर बुलाया है, जिसने प्रेस कांफ्रेंस लेकर यह घोषणा की थी कि इस दलित युवती के बदन में वीर्य नहीं मिला है, इसलिए उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ है। यह देश के कानून के ठीक खिलाफ बात थी, और हाईकोर्ट ने शायद इस बात को लेकर पेश होने कहा है। हमारा ख्याल है कि यूपी के इस भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह की बातें संविधान के जितने खिलाफ हैं, इंसानियत और इंसाफ के जितने खिलाफ हैं, इस विधायक की भी पेशी होनी चाहिए, और कहीं न कहीं से यह बात उठनी चाहिए कि संविधान और इंसानियत के खिलाफ हिंसक बातें संसद या विधानसभा की सदस्यता खत्म करने के लिए काफी बनाई जाएं।
यूपी वह राज्य है जहां पहले भी कई सांसद और विधायक, मंत्री और भूतपूर्व मंत्री बलात्कार के मामलों में फंसे हुए हैं, और न सिर्फ बलात्कार, बल्कि बलात्कार के बाद शिकार लडक़ी के परिवार के लोगों को, वकील को मार डालने के मामलों में भी घिरे हुए हैं। ऐसे राज्य में जब सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक ऐसी भयानक हिंसक बातें करते हैं, तो उनसे बलात्कारियों को ही बढ़ावा मिलता है।
लोगों को याद होगा कि उत्तरप्रदेश के एक भूतपूर्व मंत्री आजम खां ने बलात्कार की शिकार एक लडक़ी की शिकायत को राजनीति कहा था, तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे कटघरे में खड़ा करके तब तक मजबूर किया था जब तक उसने अपनी उगली हुई ऐसी तमाम हिंसक बातों को वापिस नहीं निगला था, थूके हुए को चाटा नहीं था तब तक अदालत ने उसे बेबस किया था। यह उसी उत्तरप्रदेश का एक दूसरा मामला है जिसमें एक विधायक लगातार इसी तरह की महिलाविरोधी बकवास कर रहा है, हिंसक बातें कर रहा है, और बलात्कारियों को बेकसूर साबित कर रहा है। ऐसी हिंसक बकवास को अनसुना करना ठीक नहीं है, इसे जेल भेजना चाहिए, और इसके लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को खुद होकर मामला शुरू करना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)